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रक्त का कोई धर्म नहीं, केवल मानवता का होता है संदेश

भारत में इस समय सालाना करीब दस लाख यूनिट रक्त की कमी है। हर दो सेकंड में किसी को रक्त की जरूरत होती है।

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blood donation

प्रतीकात्मक तस्वीर

- देश में सालाना करीब दस लाख यूनिट रक्त की कमी

बेंगलूरु.

रक्त की कोई जाति, कोई धर्म और कोई विकल्प नहीं होता। इसे जरूरतमंदों को दान किया जाना चाहिए। एक यूनिट रक्त तीन लोगों की जान बचा सकता है।

ये बातें उडुपी जिला परिवार कल्याण अधिकारी डॉ. श्रीराम राव ने कही। वे कस्तूरबा अस्पताल, मणिपाल की ओर से विश्व रक्तदाता दिवस पर आयोजित सम्मान कार्यक्रम को बतौर विशिष्ट अतिथि संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारत India में इस समय सालाना करीब दस लाख यूनिट रक्त की कमी है। हर दो सेकंड में किसी को रक्त की जरूरत होती है। अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति 18 साल की उम्र से रक्तदान Blood Donation करना शुरू कर दे और साल में तीन बार रक्तदान करे, तो 60 साल की उम्र तक वह करीब 30 गैलन रक्तदान कर चुका होगा। संभावित रूप से 500 से ज्यादा लोगों की जान बचा चुका होगा।

इससे पहले दक्षिण कन्नड़ जिले से सांसद कैप्टन ब्रिजेश चौटा ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अस्पताल प्रबंधन ने रक्तदाताओं, प्रेरकों और आयोजकों को उनकी उत्कृष्ट प्रतिबद्धता के लिए सम्मानित किया। नारा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।