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जंजीरों में बंधा हुआ इंसान दान नहीं कर सकता

मुनि ने दयालुता व निष्परिहता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।

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godwad bhavan

जंजीरों में बंधा हुआ इंसान दान नहीं कर सकता

गोड़वाड़ भवन में प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से गौतम स्वामी का महा मंगलकारी जाप भी सुचारू रूप से जारी है

बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, चिकपेट शाखा के तत्वावधान में गोड़वाड़ भवन में उपाध्याय प्रवर रविंद्र मुनि ने बुधवार को मंगलाचरण से धर्मसभा की शुरुआत की।

रमणीक मुनि ने कहा कि महत्वाकांक्षा की जंजीरों से जकड़ा हुआ इंसान उदारता नहीं बरत सकता तथा दान भी नहीं कर सकता। राज्य का दान भी वही करता है जो अपना जीवन दांव पर लगा सकता है। मुनि ने दयालुता व निष्परिहता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।

प्रसंगवश अनेक गीतिकाओं के माध्यम से मुनि ने राजा हरिश्चंद्र-तारामती के एक पति-पत्नी के रूप में त्याग के उनके चरित्र को गहराई से श्रवण करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि उनके इस चरित्र को सुनने पर व्यक्ति को अपना चरित्र उज्ज्वल करने की प्रेरणा मिलती है।

इससे पूर्व ऋषि मुनि ने प्रमादी, बहानेबाजी व विषय वासना में लीन लोगों के उदाहरण देते हुए एलकीय अध्ययन पर व्याख्या की। चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतमचन्द धारीवाल ने बताया कि गोड़वाड़ भवन में प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से गौतम स्वामी का महा मंगलकारी जाप भी सुचारू रूप से जारी है। संचालन सुरेश मुथा ने किया।

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जीवन से मुक्ति दिलाता है भागवत

भगवान की भक्ति करने वाले का भगवान अवश्य उसके कष्ट हर लेते हैं

बेंगलूरु. बंशकरी स्थित तोलसियासर भैरुजी धाम पर आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास शिवेन्द्र स्वरूप स्वामी ने भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान बहुत ही नटखट थे। माखनचोर कहने पर भगवान ताना मारने वाले का ही माखन चुराकर खा जाते थे। उन्होंने कहा कि जिसका मन निर्मल हो उसके मन में भगवान बस्ते हैं। भगवान की भक्ति करने वाले का भगवान अवश्य उसके कष्ट हर
लेते हैं। भागवत एक ऐसा ग्रन्थ है जो मनुष्य को जीवन से मुक्ति दिलाता है। भागवत का श्रवण कर उसको मन में उतारने की जरूरत है।