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चुनावी चक्रम: कांग्रेस में रिश्तेदारों के लिए टिकट पर घमासान, अब राहुल करेंगे फैसला

locationबैंगलोरPublished: Mar 29, 2018 06:01:06 pm

पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और मंत्री अपने पुत्र-पुत्री अथवा नजदीकी रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे हैं

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बेंगलूरु. विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर घमासान मच गया है जिससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और मंत्री अपने पुत्र-पुत्री अथवा नजदीकी रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे हैं। पार्टी के नेताओं के एक वर्ग के इसका विरोध करने के बाद अब प्रदेश नेतृत्व ने गेंद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पाले में डाल दी है। अब राहुल ही तय करेंगे कि मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या सहित दूसरे नेताओं के संतानों और रिश्तेदारों को टिकट मिलेगा या नहीं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश चयन समिति ने उम्मीदवारों की जो सूची तैयार की है उसमें मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के बेटे डॉ यतींद्र, गृह मंत्री आर रामलिंगा रेड्डी की बेटी सौम्या रेड्डी, कोलार से लोकसभा सदस्य के एस मुनियप्पा की बेटी रुपा, पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे बी. शंकरानंद के दामाद शिंदे भीमसेन राव, राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मारग्रेट अल्वा की बेटे निवेदित सहित कई नेताओं के संतानों अथवा रिश्तेदारों के नाम शामिल हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक कम से कम १५ मंत्री और वरिष्ठ नेता अपनी संतानों को टिकट दिलवाने के लिए बेंगलूरु से दिल्ली तक लॉबिंग कर रहे हैं। करीब १३० उम्मीदवार की पहली सूची एक-दो दिनों में राहुल को अनुमोदन के लिए भेजी जाएगी।
कार्यकर्ताओं में नाराजगी
नेताओं के रिश्तेदारों की टिकट की दावेदारी से पार्टी कार्यकर्ताओं के एक बड़े तबके में नाराजगी है। इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी में भाई-भतीजावाद बढ़ रहा है और पार्टी को चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सोमवार को चयन समिति की बैठक में रिश्तेदारों के टिकट को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली और लोकनिर्माण मंत्री एच सी महादेवप्पा के बीच तीखी बहस भी हुई थी। मोइली अपने बेटे हर्ष को उडुपी जिले के कारकला से टिकट दिलाना चाहते थे लेकिन पिछले सप्ताह एक विवादित ट्वीट के बाद हर्ष को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने से मोइली नाराज थे और उन्होंने बेटे का नाम उम्मीदवारों की सूची से हटाने के लिए कह दिया। महादेवप्पा भी अपने बेटे को टिकट दिलवाना चाहती हैं। पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से अल्वा भी नाराज थीं लेकिन राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में फिर से उनकी सक्रियता बढ़ी है।
सिद्धरामय्या अपने बेटे यतींद्र को मैसूरु जिले की वरुणा से टिकट दिलवाना चाहते हैं। अभी सिद्धू खुद इस सीट से विधानसभा के सदस्य हैं लेकिन बेटे के लिए वे अपनी पुरानी सीट चामुंडेश्वरी से मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, सिद्धरामय्या ने कहा कि संतान या रिश्तेदारों को टिकट दिलवाने में कुछ भी गलत नहीं है।
उम्मीदवार की जीत जरुरी है लेकिन किसे और कहां से टिकट देना है, इसका फैसला आलाकमान ही करेगा। टिकट के दावेदारों की ओर से मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी. परमेश्वर पर बढ़ता जा रहा है। बुधवार को भी टिकट पाने की आस में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए दावेदार, उनके समर्थकों का जमावड़ा मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर लगा रहा।
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