
बेंगलूरु. कांग्रेस ने बुधवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की। कांग्रेस ने शिकायत में आरोप लगाया है कि शाह ने मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को अहिंदू बताकर संहिता का उल्लंघन किया है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने कांग्रेस की शिकायत पर जांच के आदेश दिए हैं।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष वी आर सुदर्शन ने कहा कि हमने चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव अधिकारी के संज्ञान में इस बात को लाया है कि शाह ने अपने बयान में मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को अहिंदा समर्थक के बजाय अहिंदू होने की बात कह कर जनप्रतिनिधित्व कानून और आचार संहिता का उल्लंघन किया है।
सुदर्शन ने कहा कि सोमवार को शिवमोग्गा में लिंगायत मसले पर सिद्धरामय्या सरकार की आलोचना करते हुए शाह ने मुख्यमंत्री को अङ्क्षहदू कहा था, जो भारतीय दंड संहिता के तहत भी अपराध की श्रेणी में आता है। इस बीच, राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी संजीव कुमार ने कांग्रेस की शिकायत मिलने के बाद शिवमोग्गा के जिलाधिकारी को पूरे मामले की जांच कराकर गुरुवार तक रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
बसों से गायब हुए सरकारी विज्ञापन
बेंगलूरु. विधानसभा चुनाव की तारीख के ऐलान होते ही सार्वजनिक परिवहन निगम की बसों से सरकारी योजनाओं के पोस्टर, बैनर 'गायबÓ हो गए। बेंगलूरु महानगर परिवहन निगम (बीएमटीसी) की बसों के अंदरूनी और बाहरी हिस्सों, बस अड्डों पर सरकारी योजनाओं के साथ मुख्यमंत्री के फोटो वाले इश्तहार लगे हुए थे। ऐसे सभी इश्तहारों को रातोरात हटा दिया गया।
बीएमटीसी के प्रबंध निदेशक वी. पुन्नूराज ने बताया कि आदर्श संहिता लगने के बाद चुनाव आयोग की तरफ से सभी इश्तहार को हटाने के लिए निगम को 48 घंटे का समय दिया गया था, जिसका पालन करते हुए 24 घंटे के अंदर ही बीएमटीसी बसों, बस अड्डों पर लगे इश्तहार हटाए गए हैं।
नहीं हुआ आर्थिक नुकसान
बीएमटीसी प्रबंधन बसों और बस अड्डों पर प्रचार स्थान को निविदाओं के माध्यम से निजी प्रचार कम्पनियों बेचकर प्रतिवर्ष करोड़ों का राजस्व प्राप्त करता है। वर्ष 2017-18 जुलाई तक के लिए निगम ने एक निजी कम्पनी को 15 करोड़ रुपए का ठेका दिया है। पुन्नूराज ने बताया कि विज्ञापन को लेकर निगम का कोई भी नियंत्रण नहीं है और बसों पर प्रचार सामग्री को निजी कम्पनी अपने स्तर से लगाती है। अत: सरकार के प्रचार से जुड़े इश्तहार से निगम का कोई सम्बंध नहीं था और सरकारी प्रचार सामग्री के हटाने निगम को कोई राजस्व नुकसान नहीं हुआ है। वहीं कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) के प्रबंध निदेशक एसआर उमाशंकर ने बताया कि हमने भी भी बेंगलूर, मैसूरु और दूसरे जिलों में परिचालित हो रही सिटी बसों और बस अड्डों पर लगे सरकारी विज्ञापन हटाने का काम किया है।
Published on:
29 Mar 2018 05:39 pm
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