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वाल्मीकि निगम घोटाले की जांच कर रहे ईडी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। समाज कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक कल्‍लेश बी. की शिकायत के बाद सोमवार को एफआईआर दर्ज की गई।

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बेंगलूरु. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी पर वाल्मीकि निगम घोटाले में गिरफ्तार पूर्व कांग्रेस मंत्री बी. नागेंद्र और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का नाम लेने के लिए दबाव डालने के आरोप में यहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। समाज कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक कल्‍लेश बी. की शिकायत के बाद सोमवार को एफआईआर दर्ज की गई।

शिकायतकर्ता के अनुसार, निगम में धन के दुरुपयोग के संबंध में ईडी ने उन्हें 16 जुलाई को पूछताछ के लिए बुलाया था। एफआईआर के अनुसार, इसके बाद वे शांतिनगर में केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय गए और ईडी के सहायक निदेशक मुरली कन्नन के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया। कल्‍लेश ने दावा किया कि उनसे 17 सवाल पूछे गए और उन्होंने सभी के जवाब दिए, जबकि उन्होंने ईडी अधिकारी से कहा कि उन्हें फाइलों की जरूरत है और उनके अधीनस्थ अधिकारियों को तीन सवालों के जवाब देने होंगे। कल्‍लेश ने बताया कि कन्नन ने उन्हें 18 जुलाई को दोपहर 2 बजे वापस आने को कहा, जब वे फाइलें और अन्य अधिकारी ले लेंगे। इसके बाद कल्‍लेश ने अपने बयान पर हस्ताक्षर किए और जब उन्होंने एक प्रति मांगी, तो कथित तौर पर उन्हें देने से मना कर दिया गया।

कल्‍लेश के अनुसार, ईडी अधिकारी ने उन्हें बताया कि ट्रेजरी के माध्यम से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) की एमजी रोड शाखा में निगम के खाते में पैसा जमा करना गलत था। कल्‍लेश ने अपनी शिकायत में दावा किया, मैंने उनसे कहा कि मैंने सरकारी आदेश के अनुसार बिल बनाया था और 25 मार्च, 2024 को राशि जमा की थी। हालांकि, 5 मार्च से खाते से अवैध रूप से पैसा ट्रांसफर किया जा रहा था और इसलिए मैं गलत नहीं था। यह बताने के बावजूद, उन्होंने मुझे गिरफ्तार करने की धमकी दी और कहा कि मुझे कम से कम दो साल तक जमानत नहीं मिलेगी। कल्‍लेश ने आगे बताया, कन्नन ने उनसे कहा कि ईडी उनकी मदद करेगी, लेकिन उन्हें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि उन्होंने नागेंद्र, सरकार के सर्वोच्च अधिकारी और वित्त विभाग के निर्देश पर पैसे जमा किए थे।

कर्ल्‍लेश को फिर आईआरएस मित्तल के पास भेजा गया। कल्‍लेश ने आरोप लगाया, उन्होंने मुझे डांटना शुरू कर दिया और कहा कि मैं एक अपराधी हूं, मुझे गिरफ्तार किया जाएगा, मुझे दो से तीन साल तक जमानत नहीं मिलेगी, और उन्होंने मेरा बयान पढ़ा है और इसका कोई फायदा नहीं है। कल्‍लेश के अनुसार उनसे कहा गया कि अगर आप ईडी की मदद चाहते हैं, तो आपको लिखित में देना होगा कि आपने मुख्यमंत्री, नागेंद्र और वित्त विभाग के निर्देश पर पैसे जमा किए हैं और उन्होंने मुझ पर दबाव डाला है। कल्‍लेश ने बताया, उन्होंने मुझे यह कहकर डरा दिया कि मुझे सात साल की जेल होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि मित्तल ने कन्नन को अपने चैंबर में बुलाया और दोनों ने वही बातें दोहराईं, जबकि कन्नन ने 18 जुलाई को कार्रवाई करने की बात कही।

मित्तल और कन्नन के खिलाफ बीएनएस धारा 3(5) (साझा इरादे से कई लोगों द्वारा किए गए कृत्य), 351(2) (आपराधिक धमकी) और 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत एफआइआर दर्ज की गई। पहले शेषाद्रीपुरम थाने में एक गैर-संज्ञेय रिपोर्ट (एनसीआर) दर्ज की गई और फिर मामला विल्सन गार्डन थाने में स्थानांतरित कर दिया गया।