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राज्य की लंबित सिंचाई परियोजनाओं पर मंथन करेंगे पूर्व सीएम और सिंचाई मंत्री

महादयी मसले पर हुई बैठक में निर्णय

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राज्य की लंबित सिंचाई परियोजनाओं पर मंथन करेंगे पूर्व सीएम और सिंचाई मंत्री

बेंगलूरु. राज्य की लंबित सिंचाई परियोजनाओं व अंतर राज्यीय जल विवादों पर अगले महीने की 6 दिसम्बर को बेंगलूरु में सभी पूर्व मुख्यमंत्री व सिंचाई मंत्री चर्चा करेंगे।

महादयी जल बंटवारा मसले पर आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए शनिवार शाम मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।

बैठक के बाद कुमारस्वामी ने कहा कि सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों व सिंचाई मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श से सिंचाई परियोजनाओं व जल विवादों से जुड़े मसलों पर राज्य के पक्ष को ज्यादा मजबूती से रखने में मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे महादयी पंचाट के फैसले को यथाशीघ्र को राजपत्र में अधिसूचित करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखेंगे। कुमारस्वामी ने कहा कि इससे राज्य के लिए अपने हिस्से के पानी का उपयोग करने के लिए ढांचागत सुविधाओं का विकास करने का रास्ता साफ हो सकेगा।

बैठक में सभी दलों के सदस्यों को महादयी मसले पर सरकार की ओर से उठाए गए कदमों और विधिवेत्ताओं की राय से अवगत कराया गया।

बैंठक के बाद सिंचाई मंत्री डी के शिवकुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों व पूर्व सिंचाई मंत्रियों के अनुभव से जल विवाद और लंबित सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े मसलों पर राज्य सरकार को अपना रूख तय करने में मदद मिलेगी।

शिवकुमार ने कहा कि महादयी मसले पर अतिरिक्त पानी की मांग को लेकर हमने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की है लेकिन हमारी प्राथमिकता यह है कि जो पानी हमें आवंटित किया गया है सबसे पहले वह किसानों तक पहुंचे और उसका उपयोग हो सके।

यह तभी संभव होगा जब आवश्यक ढांचागत सुविधाओं का विकास हो और इसके लिए केंद्र का पंचाट के अंतिम फैसले को अधिसूचित करना आवश्यक है।

बैठक में विपक्षी पार्टी भाजपा की ओर से शामिल हुए पूर्व मंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि सरकार को शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर करने से पहले ही सर्वदलीय बैठक बुलाकर चर्चा करनी चाहिए थी जिससे राज्य का पक्ष बेहतर तरीके से रखा जा सकता था।

बोम्मई ने कहा कि सरकार ने शीर्ष अदालत मेें जो याचिका दायर की उस पर सुनवाई और फैसला आने तक पंचाट के फैसले को अधिसूचित किया जाना शायद संभव नहीं होगा।

बोम्मई ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि वे राज्य के वकीलों की टीम को यह प्रयास करने के लिए कहें कि राज्य की याचिका निस्तारण जल्द से जल्द हो सके। बैठक में अधिवक्ता बृजेश कलप्पा सहित कई वकील भी मौजूद थे।