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मंत्रियों को नहीं भा रहे पुराने जमाने का सरकारी बंगले

गठबंधन सरकार में दो दर्जन से अधिक मंत्रियों को शामिल हुए तीन सप्ताह हो चुके हैं

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मंत्रियों को नहीं भा रहे पुराने जमाने का सरकारी बंगले

बेंगलूरु. एक समय था जब मंत्रियों में पसंदीदा सरकारी बंगला लेने के लिए होड़ होती थी लेकिन समय के साथ इस रुझान में काफी बदलाव आ चुका है। पहले वृक्षों से घिरा पॉश इलाके में स्थित बड़ा सरकारी बंगला मंत्री बनने वाले नेताओं के लिए शान की बात होती थी लेकिन अब मंत्रियों को पुराने जमाने के सरकारी बंगले नहीं भा रहे हैं। गठबंधन सरकार में दो दर्जन से अधिक मंत्रियों को शामिल हुए तीन सप्ताह हो चुके हैं लेकिन किसी भी मंत्री ने सरकारी आवास लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

अधिकांश मंत्री सरकारी बंगले में जाने के बजाय अपने आलीशान मकान में रहना चाहते हैं। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक शहर में मंत्रियों के लिए 12 सरकारी आवास उपलब्ध हैं लेकिन किसी भी मंत्री ने अब तक सरकारी बंगले को लेने में रूचि नहीं दिखाई है। बताया जाता है कि पुराने अंदाज में बने सरकारी बंगलों में जाने के बजाय नई सरकार के अधिकांश मंत्री अपने आलीशान में मकान अथवा फिर शहर के किसी पॉश इलाके में लिए गए किराए के पंसदीदा मकान में रहना चाहते हैं।

कुछ मंत्रियों का कहना है कि शहर में उनका अपना मकान है और वह पूरी तरह सुविधाओं से सुसज्जित है। अपने मकान में रहकर काम करना उनके लिए ज्यादा सहूलियत भरा है, इसलिए वे सरकारी बंगले को नहीं लेना चाहते हैं। दरअसल, इन मंत्रियों से पहले मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और उपमुख्यमंत्री डॉ जी परमेश्वर ने भी सरकार बंगले के बजाय अपने निजी आवास में ही रहने का फैसला किया था। हालांकि, विभाग के पास मुख्यमंत्री के आवास के लिए तीन बंगले हैं। कुमारस्वामी न सिर्फ जे पी नगर स्थित अपने आवास में रहते हैं बल्कि सरकारी कार के बजाय निजी कार का भी उपयोग कर रहे हैं। करीब डेढ़ करोड़ की यह कार आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित बताई जाती है।

परमेश्वर भी सदाशिवनगर स्थित अपने मकान में ही रह रहे हैं। विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ मंत्रियों ने सरकारी बंगला लेने में दिलचस्पी दिखाई है लेकिन वे भी इसका उपयोग रहने के बजाय आवासीय कार्यालय के तौर पर करना चाहते हैं। परमेश्वर ने भी सरकार बंगला लेने की इच्छा जताई है। परमेश्वर का कहना है कि सदाशिवनगर आवास पर काफी संख्या में आम लोगों और समर्थकों के आने के कारण पड़ोसियों को परेशानी हो रही है,इसलिए वे सरकारी बंगला लेना चाहते हैं ताकि वे उसका उपयोग आवासीय कार्यालय के तौर पर कर सकें। पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे छह नेताओं ने अभी सरकारी बंगला खाली नहीं किया है।

जल संसाधन मंत्री डी के शिवकुमार ने पिछली सरकार में भी सरकारी बंगला नहीं लिया था और सदाशिवगन स्थित अपने मकान में ही रहते थे। इस बार भी शिवकुमार अपने घर से ही रह रहे हैं। एक युवा मंत्री ने कहा कि सरकारी बंगला उन मंत्रियों के लिए सुविधा है जो शहर से बाहर रहते हैं और उनके पास यहां अपना मकान नहीं है। जिन मंत्रियों के पास यहां अपना मकान है वे सरकारी बंगले में इसलिए नहीं जाना चाहते हैं वे उनके सुविधानुसार हर चीज की व्यवस्था मुश्किल है। नियमों के मुताबिक सरकारी बंगला नहीं मिलने पर मंत्री एक लाख रुपए तक के मासिक किराए पर मकान ले सकते हैं और इसके लिए अग्रिम राशि का भुगतान भी सरकार करती है, जो अमूमन 10 महीने के किराए के बराबर होती है। निजी मकान में रहने वाले मंत्रियों को भी मकान किराया भत्ता मिलता है।

वास्तु दोष भी कारण
मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर समेत 12 से अधिक मंत्रियों ने वास्तुदोष का हवाला देकर उन्हें आवंटित सरकारी बंगले में रहने से इंकार कर दिया है। इनमें प्रमुख मंत्रियों में राजस्व मंत्री आरवी देशपांडे,लोक निर्माण मंत्री एचडी रेवण्णा, रसद मंत्री जमीर अहमद खान, चिकित्सा शिक्षा मंत्री डीके शिवकुमार, भारी उद्योग मंत्री के जे जॉर्ज, प्रियांक खरगे शामिल हैं। मुख्यमंत्री मुख्य सचिव केमकान में रहना चाहते थे, लेकिन हाल में मुख्य सचिव के रत्नप्रभा की सेवाएं 3 माह तक विस्तारित किए जाने से यह मामला लंबित है। अन्य मंत्रियों ने सरकार को खत लिखकर सरकारी बंगले में रहने से इंकार करते हुए घर के लिए मासिक किराया देने की मांग की है।