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संगीतप्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर रहा ऐतिहासिक पुलिस बैंड

मैसूरु दशहरा: 150 वर्ष पूर्व वाडियार शासकों ने स्थापित किया था बैंड

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संगीतप्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर रहा ऐतिहासिक पुलिस बैंड

मैसूरु. ऐतिहासिक धरोहरों वाला शहर मैसूरु हमेशा ही कला एवं संगीत को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहराण मैसूरु का पुलिस बैंड है जो 150 वर्षों का स्वर्णिम इतिहास संजोए है।
रोशनी से झिलमिल मैसूरु पैलेस के सामने ऐतिहासिक कर्नाटक बैंड का संगीत मैसूरु दशहरा को पुराने दिनों की याद ताजा करा रहा है। मैसूरु महाराज के दरबार की शानो-शौकत रहे और देश के मशहूर बैंड समूहों में से एक पुलिस बैंड अब कर्नाटक बैंड के नाम से लोकप्रिय है। बैंड ने दशहरे का लुत्फ उठाने के लिए महलों की नगरी में पहुंचे हजारों देशी-विदेशी संगीत प्रेमियों और पर्यटकों का मन मोहा है।
मैसूरु महल की झिलमिल रोशनी में इस बैंड से जुड़़े 600 से ज्यादा पुलिस कर्मियों की प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। बैंड की बेहतरीन प्रस्तुति के लिए उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर ने एक कार्यक्रम में बैंड में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति देने वाले कलाकारों को ट्रॉफी प्रदान की जबकि डीजी एवं आइजीपी नीलमणि राजू ने बैंड के लिए पांच लाख रुपए सम्मान राशि जारी करने की घोषणा की। उल्लेेखनीय है कि कर्नाटक बैंड हर वर्ष दशहरे पर अपनी प्रस्तुति देता रहा है। इस बैंड के कलाकारों द्वारा मैसूरु के प्रसिद्ध रचनाकारों वासुदेवाचार, मुतैया भगवतार, त्यागराज, मुत्तुस्वामी, श्यामशास्त्री, स्वाति क्षितिसार, तिरुमल, जयचामराज वाडियार, पुरंधर दास और कनकदास के गीतों की प्रस्तुति दी जाती है।
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के दिग्गजों फैयाज खान, बरकत अली खान और रफी खान जैसे कलाकारों के गानों पर भी मनभावन धुन पेश की जाती है। बैंड, कर्नाटक और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की धुनों के अतिरिक्त प्रसिद्ध कन्नड़ फिल्म कलाकार डॉ राजकुमार और फिल्मी हस्तियों पर फिल्माए गए गीतों की भी प्रस्तुति दे रहा है जो श्रोताओं को झूमने पर मजबूर करता है।
बैंड के पास दुर्लभ वाद्ययंत्रों का संग्रह
पुलिस बैंड में भर्ती प्रक्रिया को सख्त करने के उद्देश्य से संगीतकारों के लिए लंदन के ट्रिनिटी संगीत कॉलेज से परीक्षा पास करना जरूरी कर दिया गया। संगीत की नई विधाओं को सीखने और सिखाने के लिए एक संगीत प्रशिक्षण केन्द्र की भी स्थापना की गई। आज पुलिस बैंड के पास दुर्लभ वाद्ययंत्रों का संग्रह उपलब्ध है। इनमें बांसुरी, नफीरी, अलगोजा, शहनाई, छोटा पियानो, सैनिक वाद्ययंत्र, तुरही और ड्रम की अनेक किस्मों के अलावा आधुनिक वाद्ययंत्रों में सारंगी, बेला, वायलन और वीणा के पुराने और आधुनिक संस्करण मौजूद हैं।
इसके अलावा सींग वायलिन, ट्यूबलर घंटी, हारमोनियम और लकड़ी के भी वाद्ययंत्र उपलब्ध हैं। बैंड की संगीत प्रस्तुति के दौरान अंग्रेजी और कर्नाटक बैंड कर्मी मौसम के अनुसार वर्दियां पहनते हैं।
गणतंत्र दिवस परेड में प्रस्तुति
वर्ष 2006 में नई दिल्ली में राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में प्रस्तुति के लिए अंग्रेजी बैंड को दिल्ली आमंत्रित किया गया था। बेंगलूरु स्थित विधानसौधा में आयोजित होने वाले विशेष आयोजनों पर अंग्रेजी बैंड अपनी प्रस्तुति देता रहा है। इसी तरह, मैसूरु महल के सभी पारंपरिक कार्यक्रमों में भी इस बैंड की भागीदारी होती रही है।
जेडीसी फ्रीस, एम पेरिया, जेएम पेरिया, जे. फ्रांसिस, जेवियर, फलिक्स एम जोसेफ और अरोग्यास्वामी जैसे मशहूर बैंड मास्टर्स अंग्रेजी बैंड का हिस्सा रहे हैं। वहीं कर्नाटक पुलिस बैंड के नाम से प्रसिद्ध कर्नाटक सरकार आर्केस्ट्रा की स्थापना के पीछे मुख्यत: भारतीय शास्त्रीय संगीत को प्रोत्साहित करना था।
साल 1868 में हुई स्थापना
वर्ष 1868 में मैसूरु के तत्कालीन महाराजा चामराजा वाडियार ने अपने दूरदर्शी दीवानों के साथ मिलकर 150 की संख्या वाले पैलेस बैंड की स्थापना की थी। दरअसल, वाडियार राजघराने के शासनकाल में मैसूरु शहर अपने आप में संगीत, शिक्षा और कला का गढ़ बनकर उभरा था। शाही परिवार के कई सदस्य स्वयं भी कर्नाटक और पश्चिमी संगीत से भली-भांति वाकिफ थे। यह बैंड शाही कार्यक्रमों में प्रस्तुति देकर राजा और शाही मेहमानों का मनोरंजन करता था जिसकी अगुवाई फ्रेंच मूल के जेटीडी फ्रीस करते थे। विभिन्न संगीत स्कूलों से संगीत की शिक्षा पूरी कर चुके सर्वश्रेष्ठ संगीतज्ञों को इस बैंड में शामिल किया गया था जिसके दो भाग थे कर्नाटक सरकार बैंड या अंग्रेजी बैंड (पश्चिमी संगीत) और कर्नाटक सरकार आर्केस्ट्रा (कर्नाटक शास्त्रीय संगीत)। बाद में, वर्ष-1950 में इन्हें पुलिस विभाग के साथ मिला दिया गया जबकि वर्ष-1958 में बैंड को कर्नाटक की माउंटेड पुलिस कंपनी के अंतर्गत लाया गया।