
मन स्वस्थ नहीं तो शरीर बीमार
मैसूरु. सिटी स्थानक में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए डॉ. समकित मुनि ने कहा कि मन, शरीर और भाव इन तीनों का स्वस्थ होना जरूरी है। यदि मन अशांत है तो शरीर अस्वस्थ हुए बिना नहीं रहेगा।
आलसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास रुक जाता है। भोजन कब, कैसे और कौन सा करना चाहिए? इस पर मुनि ने प्रकाश डाला। अधिक खाना यानि अपनी उम्र कम करना।
भोजन स्वाद नहीं स्वास्थ्य के लिए करना चाहिए। हितकारी भोजन भी जरूरत से अधिक नहीं खाना चाहिए। मन, भाव और शरीर जब तीनों आरोग्य होते हैं तब ही आदमी विकास के मार्ग पर बढ़ता है।
खानपान का विवेक नहीं रखकर भोजन करने से मन बीमार होता है। शरीर का स्वस्थ रहना पर्सनलिटी डेवलपमेंट के लिए जरूरी है। कृष्ण और सुदामा की अमर कथा का शुभारंभ करते हुए मुनि ने कहा कि निश्चय में आत्मा ही हमारा सच्चा मित्र है।
लेकिन व्यवहारिक जीवन जीने के लिए दोस्ती की जरूरत पड़ती है। अच्छा दोस्त मिलना पुण्य के समान है। दोस्त सुधार भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। धर्मसभा का संचालन संघ के मंत्री सुशील नंदावत ने किया।

Published on:
14 Nov 2018 07:03 pm
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