
मंत्रिमंडल विस्तार में देरी से कांग्रेस में बढ़ रही नाराजगी, वेणुगोपाल से मिले कई नेता
बेंगलूरु. बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार से पहले पार्टी के विभिन्न धड़ों, शीर्ष नेताओं, कार्यकर्ताओं और असंतुष्टों का मन टटोलने पहुंचे प्रदेश कांग्रेस प्रभारी महासचिव वेणुगोपाल से पूर्व मंत्री एम बी पाटिल और हिरेकेरुर के विधायक बीसी पाटिल सहित मंत्री पद के कई दावेदार मिले।
कांग्रेस और जद-एस गठबंधन सरकार ने इसी महीने मंत्रिमंडल विस्तार का मन बनाया है। इस बीच कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल के यहां पहुंचते ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गई और मंत्रिपद की दावेदारी पेश करने के लिए प्रमुख नेता लाबिंग में जुट गए हैं।
कांग्रेस को 34 में से 22 मंत्री पद मिले हैं और उसे 6 पदों पर नियुक्तियां करनी हैं। वहीं जद-एस को 12 मंत्री पद मिले हैं जिसमें से दो सीटों पर उसको नियुक्तियां करनी हैं।
हालांकि, सरकार गठन के बाद से ही कई बार मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट हुई लेकिन असंतुष्ट नेताओं के बगावती तेवर को देखते हुए यह बार-बार टलता रहा है।
इसी के मद्देनजर वेणुगोपाल प्रदेश कांग्रेस के सभी पदाधिकारियों से भी मिलेंगे और नेताओं का रुख जानेंगे। एम बी पाटिल व बी सी पाटिल मंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में से हैं और उन्होंने शनिवार को उनसे भेंट कर इस संदर्भ में चर्चा भी की।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पार्टी के सामने एक साथ कई चुनौतियां हैं। एक तरफ उसे जातीय और क्षेत्रीय संतुलन स्थापित करना है तो दूसरी ओर उन वरिष्ठ असंतुष्ट नेताओं को नजरअंदाज भी नहीं कर सकते जिन्हें जून में सरकार गठन के दौरान मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई थी।
इसके अलावा पार्टी को उन विभिन्न जिलों को भी ध्यान में रखना है जिन्हें मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। राज्य के कई ऐसे जिले हैं जहां गठबंधन के उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहतर रहा है लेकिन वहां से एक भी प्रतिनिधि को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।
कोलार की सभी छह सीटों पर गठबंधन उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है लेकिन मंत्रिमंडल में इस जिले का प्रतिनिधित्व शून्य है। इसी तरह बल्लारी की 9 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 6 सीटें जीती हैं लेकिन मंत्रिमंडल में इस जिले का एक भी प्रतिनिधि नहीं है।
इनके अलावा कोप्पल, शिवमोग्गा, दावणगेरे, चिकमगलूरु और बेंगलूरु ग्रामीण का भी कोई प्रतिनिधि कैबिनेट में नहीं है।
उधर, वेणुगोपाल से भेंट के बाद हिरेकेरुर के विधायक बी सी पाटिल ने कहा कि 'मैंने मंत्रिमंडल विस्तार के मुद्दे पर वेणुगोपाल के साथ चर्चा की।
मैंने उनसे कहा कि मेरे तालुक (हिरेकेरूर) से पिछले 38 वर्षों से कोई भी राज्य सरकार में मंत्री नहीं बना है। मंत्रिमंडल विस्तार के समय इस तथ्य को ध्यान में रखें। मैंने अपने हावेरी जिले से भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व की बात उनसे कही।Ó
दरअसल, वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी मंत्रिमंडल विस्तार की राह में एक बड़ा रोड़ा है। इनमें वरिष्ठ नेता जैसे एम बी पाटिल, एचके पाटिल, शामणूर शिवशंकरप्पा, सतीश जरकीहोली, एमटीबी नागराजू आदि प्रमुख हैं।
इसके अलावा बेंगलूरु के प्रमुख और वरिष्ठ नेता रामलिंगा रेड्डी और रोशन बेग भी नाराज नेताओं की सूची में शामिल हैं।
हालांकि, पूर्व मंत्री और अलग लिंगायत अल्पसंख्यक धर्म के लिए झंडा बुलंद करने वाले एम बी पाटिल ने वेणुगोपाल से भेंट की लेकिन उनके साथ हुई बातचीत का जिक्र नहीं किया।
एम बी पाटिल ने कहा 'मैं मंत्रिमंडल विस्तार के मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोलूंगा। मुझे मंत्री बनाने या नहीं बनाने का फैसला पार्टी हाई कमान के हाथ है।Ó
हालांकि, बल्लारी जिले से किसी भी कांग्रेस विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है लेकिन यहां की स्थितियां काफी विकट हैं। जिले की 9 में से 6 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के विधायक एक-दूसरे को मंत्रिमंडल की दौड़ से बाहर करने में लगे हैं।
पीटी परमेश्वर नायक (हडगल्ली), भीमा नायक (हगरीबोमनहल्ली), आनंद सिंह (विजयनगर), जे एन गणेश (कम्पल्ली), बी.नागेश (बल्लारी) और ई.तुकाराम (संडूर) के विधायक अलग-अलग खेमों में बंटे हुए हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडुराव ने कहा है किमंत्रिमंडल का विस्तार नवंबर में हो जाएगा। मंत्रिमंडल विस्तार के अलावा पार्टी कार्यकर्ता बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष पद पर भी टकटकी लगाए हैं।
गठबंधन में हुए समझौते के मुताबिक दो तिहाई सीटें कांग्रेस और एक तिहाई जद-एस को मिलेंगे। उपमुख्यमंत्री डॉ जी परमेश्वर ने भी कहा कि इस महीने के अंत तक विस्तार हो जाएगा।

Published on:
18 Nov 2018 07:21 pm
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