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हार-जीत की चिंता में बढ़ रहा है नेताओं का शुगर और बीपी

लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही विभिन्न पार्टियों के नेताओं, मंत्रियों और प्रत्याशियों पर अनिद्रा, अवसाद और तनाव हाबी है। इनमें से कई के निजी चिकित्सक इनके स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखे हुए हैं।

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हार-जीत की चिंता में बढ़ रहा है नेताओं का शुगर और बीपी

हार-जीत की चिंता ने बढ़ाया नेताओं का शुगर और बीपी
बेंगलूरु. लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही विभिन्न पार्टियों के नेताओं, मंत्रियों और प्रत्याशियों पर अनिद्रा, अवसाद और तनाव हाबी है। इनमें से कई के निजी चिकित्सक इनके स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखे हुए हैं। जिसमें रक्तचाप और शुगर से लेकर दिल की धडक़नों की नियमित जांच शामिल है। कई प्रत्याशी पहले से ही इन समस्याओं से जूझ रहे हैं। कई हृदय के मरीज हैं। ऊपर से चुनाव प्रचार के कारण इनकी दिनचर्या पहले से ही प्रभावित है। मंत्री पद सहित हार और जीत को लेकर कई राजनीतिक चिंता, तनाव व अवसाद के दौर से गुजर रहे हैं।

एक आहार विशेषज्ञ के अनुसार वे कई प्रत्याशियों का नियमित उपचार कर रहे हैं। ज्यादातर प्रत्याशियों को अनिद्रा, तनाव और अपच सहित पेट की अन्य समस्याएं परेशान कर रही हैं। उन्होंने समय पर खाने और ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह दी है।

मनोचिकित्सक डॉ. जगदीश के अनुसार परिणाम आधारित कोई भी गतिविधि चिंता और फिर बाद में अवसाद का कारण बनती है। चुनाव प्रचार इनमें से एक है।

देखने में आया है कि परीक्षा के पहले विद्यार्थियों को जितना तनाव रहता है उससे कहीं ज्यादा तनाव प्रत्याशियों को चुनाव के दौरान रहता है। राजनेताओं के लिए हार-जीत काफी मायने रखता है। बच्चे परीक्षा में फेल हो जाएं तो फिर से मौका मिलता है, लेकिन चुनाव हारने के बाद कईयों की राजनीतिक कॅरियर में ब्रेक लग जाता है।

निम्हांस के मनोवैज्ञानिक डॉ. मनोज शर्मा बताते हैं कि चुनाव से काफी पहले सभी प्रत्याशियों को तनाव व अवसाद से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाए तो लाभ होगा। मेडिटेशन और योगाभ्यास भी फायदेमंद है।