16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अनुष्ठान की आभा से दमक रही है भगवान बाहुबली की नगरी

चामुंडराय मंडप में स्वामी के नेतृत्व में मां सरस्वती देवी की महापूजा का आयोजन प्रतिदिन शाम को हो रहा है

2 min read
Google source verification
jainism

अनुष्ठान की आभा से दमक रही है भगवान बाहुबली की नगरी

श्रवणबेलगोला. श्रवणबेलगोला में 125 से अधिक साधु-संतों के सान्निध्य में नवरात्रि पर पूजन, विधान एवं अनुष्ठान रखे गए हैं। अनुष्ठान की आभा से श्रवणबेलगोला का कोना-कोना दमक रहा है।

भंडारी बसदी में आचार्य वर्धमान सागर सहित सभी साधु-संतों के सान्निध्य में प्रतिष्ठाचार्य कुमुद सोनी द्वारा मनमोहक मंडल के साथ भक्तामर विधान आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिदिन जनसमूह उमड़ रहा है।

प्रज्ञा सागर मुनि के सान्निध्य में श्रवणबेलगोला में पहली बार बाहुबली अष्टक 1008 श्रीफल, 1008 पुष्पों के साथ प्रतिदिन 111 बाद पढ़कर अद्भुत अनुष्ठान किया जा रहा है।पचरंगी जाप मालाओं के साथ साजसज्जा आकर्षण का केंद्र है।

चारुकीर्ति भट्टारक ने बाहुबली स्तुति का उच्चारण कर श्रीफल समर्पित किए। अनुष्ठान में आचार्य सुविधि सागर ससंघ, अमरकीर्ति अमोघकीर्ति मुनि, आर्यिका जिनदेवी माता, सुनीतिमति माता सहित अनेक साधुगुण सानंद संपन्न करा रहे हैं।

चामुंडराय मंडप में स्वामी के नेतृत्व में मां सरस्वती देवी की महापूजा का आयोजन प्रतिदिन शाम को हो रहा है। इसका संगीतमय महाआरती के साथ भव्य समापन होता है।


दूसरों का अहित करने वाला स्वार्थी
चामराजनगर. गुंडलपेट स्थानक में साध्वी साक्षी ज्योति ने प्रवचन में कहा कि जो इंसान अपना ही हित चाहता है और दूसरों का अहित करता है, वह स्वार्थी है। उन्होंने कहा कि स्वार्थी उसी का विनय करता है जिससे स्वार्थ सधता है।

उसी पर करुणा करता है जो उसके लिए उपयोगी है। उसी के प्रति प्रमोद भाव रखता है जो उसके लिए स्वार्थ पूर्ति में सहयोगी है। स्वार्थ में परहित कभी नहीं रहता है। परहित वही करता है जो नि:स्वार्थ है।

मानव बनकर सर्वजगत का कल्याण नहीं चाहा, नहीं सोचा, नहीं किया तो उसका वर्तमान जीवन घाटे में रहा। अत: हम ऋषि, महर्षि, संत, अरिहंत बनें न बनें, सिर्फ मानव बन जाएं। मानव भव स्वयं में बहुत बड़ी उपलब्धि है।

इसलिए जीवन में परहित करने की चाहत रखें, क्योंकि जैसा हम दूसरों को देते हैं, वही लौटकर हमारे पास आता है। इसलिए सबका श्रेष्ठ सोचें, श्रेष्ठ करें।