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नवकार मंत्र के जाप से दूर होते हैं सारे विघ्न

धर्मसभा: नवकार का नौ लाख बार सुमिरण करने से नरक बंधन टूटता है

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नवकार मंत्र के जाप से दूर होते हैं सारे विघ्न

बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, राजाजीनगर में आयोजित आयंबिल ओली के द्वितीय दिवस धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी कमलप्रज्ञा ने कहा कि जैन धर्म में नवकार महामंत्र का महत्व है। नवकार का नौ लाख बार सुमिरण करने से नरक बंधन टूट जाता है। जिसके रग-रग में नवकार बसा हो कोई उसका बाल तक बाका नहीं कर सकता।

नवकार मंत्र से सारे विघ्र दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि नवकार कलियुग का कल्पवृक्ष और कामधेनु है जिसके समक्ष मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साध्वी अमितप्रज्ञा ने आयंबिल ओली की विधि सम्पन्न करवाई।

अष्ट दिवसीय लोगस्स साधना के सप्तम दिवस 350 श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। 75 श्रावक-श्राविकाओं ने आयंबिल तप की आराधना की। संघ मंत्री ज्ञानचंद लोढ़ा ने बताया कि गुरुवार को साध्वी संयमलता की 31वीं दीक्षा जयंती एवं नौ दिवसीय अखण्ड मौन साधना की पूर्णाहुति पर सुबह नौ बजे महामांगलिक का आयेजन किया जाएगा।


पवित्रता के माध्यम से होती है आत्मा की अनुभूति
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, चिकपेट शाखा के तत्वावधान में गोड़वाड़ भवन में उपाध्याय प्रवर रविंद्र मुनि ने बुधवार को मंगलाचरण से प्रवचन व धर्म सभा की शुरुआत की। सलाहकार रमणीक मुनि ने ओंकार का सामूहिक उच्चारण कराया।

मुनि ने प्रवचन में कहा किहमारा परमात्मा अनंत विशाल है। जितने भी विचार बिंदु श्रावक-श्राविकाओं के मस्तिष्क को छूते हैं, तनिक भी गहराई में जाएं तो अनेक रहस्यों से संपर्क संबंध स्थापित हो सकता है। सत्संग का आयोजन भी बाहरी दुनिया से संपर्क विच्छेद कर अंदर की दुनिया से संपर्क जोड़ता है। आत्मा और व्यक्ति के बीच में मस्तिष्क और मोह एक बाधा है। दूसरों की टिप्पणियों से प्रभावित होना परतंत्रता की निशानी है।

यदि किसी के सहारे जीना है तो बाहरी दुनिया वालों के बजाय स्वयं के भीतर जो परमपिता परमात्मा बैठा है उसके साथ संयुक्त होने की जरूरत है। संसार तो कर्म बंधन से निर्मित होता है, संसार से जुडऩे पर कर्म बंधन में ही उलझ जाएंगे यानी मोह, कषायों अथवा राग द्वेष से जुडऩा है।

चिकपेट शाखा के सह मंत्री गौतमचंद मुणोत ने बताया कि धर्म सभा में शहर के विभिन्न उपनगरीय संघों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। संचालन महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने किया।