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‘आजकल बिना रिश्वत कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती’

सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार को लेकर हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी रिश्वत लेने के आरोपी अधिकारी की जमानत अर्जी खारिज

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बेंगलूरु. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। रिश्वत लेने के आरोपी एक सरकारी कर्मचारी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। आजकल रिश्वत दिए बिना कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती।

न्यायाधीश के. नटराजन की पीठ ने बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) के सहायक अभियंता बी. टी. राजू की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आजकल, सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार बढ़ गया है और बिना रिश्वत के कोई फाइल आगे नहीं बढ़ाई जाती है। मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता इस समय जमानत के हकदार नहीं हैं। बीडीए ने कथित तौर पर बगैर उपयुक्त अधिग्रहण कार्यवाही के केंगेरी गांव में दो लोगों के स्वामित्व वाली ३३ गुंटा भूखंड का इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए किया था।

जमीन के मालिक की ओर से जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) धारक मंजूनाथ ने भूमि के बदले वैकल्पिक स्थान के लिए अर्जी दायर की थी। लेकिन, काफी समय तक उसका मामला लंबित रहा। मंजूनाथ ने नवबंर में 2021 में अर्जी दाखिल की थी। उसकी अर्जी सहायक भू- अधिग्रहण अधिकारी और सर्वेयर के पास से अग्रसारित होकर 3 जनवरी 2022 को राजू के पास पहुंची थी। आरोप है कि राजू ने उस फाइल को छह महीने से अधिक समय तक लंबित रखा। 7 जून 2022 को उसकी गिरफ्तारी तक फाइल उसके पास ही थी। एसीबी ने राजू को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। आरोपी राजू ने मंजूनाथ से कथित तौर पर एक करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की थी। हालांकि, 60 लाख रुपए पर सहमति बनी थी।


वहीं, 7 जून को राजू को पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया गया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक कॉल रिकॉर्डिंग भी हासिल की थी, जिसमें राजू ने रिश्वत की मांग की थी।

फोन पर बातचीत से हुआ खुलासा
निचली अदालत के जमानत अर्जी खारिज करने के बाद राजू ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। राजू की दलील थी कि वह डेढ़ महीने से जेल में है। एसीबी के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच फोन पर बातचीत से रिश्वत मांगे जाने का खुलासा होता है। उच्च न्यायालय ने राजू की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि बातचीत साबित है कि रिश्वत ली थी।