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हमारी बातें सामने वाले को जहर ना बनें

जो कानों से सुने, वह श्रोता होता है और जो हृदय से सुने, वह श्रावक होता है

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samkit muni

हमारी बातें सामने वाले को जहर ना बनें

मैसूरु. स्थाानकवासी जैन संघ के तत्वावधान में सिटी स्थानक में डॉ. समकित मुनि ने कहा कि भूलने की कला हमारे जीवन में आना जरूरी है। नहीं भूलने लायक बातें अगर मनुष्य न भूले तो वह पागल बन जाता है। हमारे द्वारा कही गई बातें किसी को अच्छी लगे, ये जरूरी नहीं, लेकिन हमारी बातें सामने वाले को जहर नहीं बन जाएं।

उन्होंने कहा कि कानों से नहीं, ह्रदय से सुनें। जो कानों से सुने, वह श्रोता होता है और जो हृदय से सुने, वह श्रावक होता है। जो जुबान से बोले, वह वक्ता होता है और जो हृदय से बोले वह भगवंता होता है। भगवंता की आवाज जीवन की आवाज होती है। कानों से सुनी आवाज जीवन को ऊंचा नहीं उठा पाती है। जुबान की आवाज कान सुनते है, लेकिन जीवन की आवाज हृदय सुनाता है।

प्रारम्भ में जयवंत मुनि ने गीतिका प्रस्तुत की। भवांत मुनि ने बताया कि रविवार सुबह 8 बजे 'भोजन नहीं, प्रसाद बनाए, आओ किचन को मंदिर बनाएंÓ विषय पर प्रवचन होगा। दोपहर 2.30 बजे आचार्य आनंदऋषि जयंती पर सामायिक दिवस एवं गुणानुवाद होगी। पेरम्बूर महिला मंडल ने गीतिका से संतों को पेरम्बूर पधारने की विनती की।

बुद्धि का उपयोग तत्व चिंतन में करें
चामराजनगर. गुंडलपेट स्थानक में साध्वी साक्षी ज्योति ने कहा कि मनुष्य को सभी जीवों में श्रेष्ठ बतलाया गया है। मनुष्य अपनी बुद्धि का प्रयोग करके किसी भी परिस्थिति में ऊपर उठसकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी बुद्धि का उपयोग तत्व चिंतन में करना चाहिए। आज का मनुष्य अपनी बुद्धि का प्रयोग दूसरों को पीड़ा पहुंचाने और दुख देने में करता है। वह षडयंत्र रचने में अपनी बुद्धि का प्रयोग करता है। अपने आप को श्रेष्ठ समझने वाला व्यक्ति दूसरों को हीन भावना से व नीच दृष्टि से देखता है। साध्वी पूजा ज्योति ने भी भाव व्यक्त किए। रविवार को आचार्य आनंद ऋ