
सामूहिक सिद्धितप का पच्चखान
बेंगलूरु. आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ के तत्त्वावधान में आचार्य जिनसुंदर सूरीश्वर आदि ठाणा की निश्रा में गुरुवार को संभवनाथ जैन भवन में सामूहिक सिद्धितप का पच्चखान कार्यक्र म हुआ। आचार्य ने मंगलाचरण के बाद विधि स्वरूप तीन प्रदिक्षणा दिवाकर पच्चखान किया। उन्होंने कहा कि तप की आराधना ही तीर्थंकर नामकरण करने के योग्य बनाती है। बाबूलाल पारेख ने स्वागत किया। प्रकाशचंद ने सिद्धितप की जानकारी दी। गौतम सोलंकी, देवकुमार के जैन आदि उपस्थित थे।
साधना से मिलती है आहारिक शरीर की उपलब्धि
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ फ्रेजर टाउन के तत्त्वावधान में साध्वी निधि ज्योति ने कहा कि मनुष्य और तिर्यंच गति में औदारिक शरीर पाया जाता है। नरक और देवगति में वैक्रिय शरीर पाया जाता है।
उन्होंने कहा कि आहारिक शरीर एक उपलब्धि है जो कि साधना से प्राप्त होती है। यह मनुष्य को प्राप्त होती है। यह एक विशेष उपलब्धि है, जो कि सीमंधर स्वामी तक जाकर प्रश्नों का समाधान लाकर पुन: प्रश्नकर्ता के शरीर में प्रविष्ट हो जाती है। तेजस और कार्मण शरीर यह दोनों ही युगल रहते हैं। सभी शरीर में पाए जाते हैं। जब तक आत्मा संसार परिभ्रमण करती रहेगी यह भी साथ रहेंगे। सभा में अध्यक्ष लख्मीचंद, चेयरमैन सुजानमल, उपाध्यक्ष हीरामल कांटेल, कोषाध्यक्ष जयंतीलाल आदि उपस्थित थे।
धर्मस्थान में चोरी कर देते हैं दुर्भाग्य को निमंत्रण
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चामराजपेट में साध्वी अर्पिता ने पापों में से तीसरे पाप अक्तादान के बारे में कहा कि व्यक्ति को व्यक्तिक चोरी, सामाजिक और पारिवारिक चोरी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति धर्मस्थान में चोरी करता है वह अपने दुर्भाग्य को निमंत्रण देता है। यदि हम चोरी करते हैं तो दूसरे व्यक्ति का दिल दुखाते हैं और बारह साल तक इसकी सजा भुगतनी पड़ती है। इसलिए हर व्यक्ति को चोरी से बचना चाहिए। प्रवचन से पहले गुरुदेव रूप मुनि के स्वास्थ्य सुधार के लिए 15 मिनट के लिए नवकार महामंत्र का जाप किया।
Published on:
03 Aug 2018 05:14 pm
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