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परमेश्वर की अपील, बंद का आह्वान वापस लें संगठन

परमेश्वर ने कहा कि नई सरकार भी उत्तर कर्नाटक में सिंचार्ई, उद्योग व अन्य क्षेत्रों में विकास सुनिश्चित करने के लिए विशेष बल दे रही है

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g parmeshwara

परमेश्वर की अपील, बंद का आह्वान वापस लें संगठन

बेंगलूरु. उपमुख्यमंत्री डॉ परमेश्वर ने अलग राज्य की मांग करने वाले संगठनों से 2 अगस्त को प्रस्तावित बंद का आह्वान वापस लेने की अपील की है। परमेश्वर ने यहां पत्रकारों से बाचीत में कहा कि अखंड कर्नाटक का विकास ही सरकार का लक्ष्य है। परमेश्वर ने कहा कि पूरा कर्नाटक ही एक है। कोई दूसरा या तीसरा कर्नाटक नहीं है। यह अखंड कर्नाटक है।

ऐसा नहीं हो सकता कि हम एक हिस्से का विकास करें और दूसरे हिस्से को वैसे ही छोड़ दें। परमेश्वर ने कहा कि गठबंधन सरकार ने उत्तर कर्नाटक या राज्य के किसी भी हिस्से के साथ भेदभाव नहीं किया है और बजट आवंटन समान रूप से किया गया है। उत्तर कर्नाटक क्षेत्र राज्य का अभिन्न हिस्सा है और सरकार के इस क्षेत्र के साथ भेदभाव करने का सवाल ही नहीं उठता है। गठबंधन सरकार की किसानों का ऋण माफ करने की योजना इस बात का प्रमाण है और इस योजना से उत्तर कर्नाटक के किसान अधिक लाभान्वित हुए हैं।

परमेश्वर ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने क्षेत्रीय असंतुलन पर गठित नंजुंडप्पा समिति की सिफारिशों के आधार पर प्रदेश के 144 पिछड़े तालुकों के विकास के लिए कोष आवंटित किया था जिनमें से अधिकतर तालुक उत्तर कर्नाटक में आते हैं। इसके अलावा पार्टी ने पिछड़े हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के संविधान के अनुच्छेद 371 जे मेंं संशोधन कर विशेष दर्जा दिलवाया।

परमेश्वर ने कहा कि नई सरकार भी उत्तर कर्नाटक में सिंचार्ई, उद्योग व अन्य क्षेत्रों में विकास सुनिश्चित करने के लिए विशेष बल दे रही है। हम आपकी शिकायतें सुनने व मांगे पूरी करने के लिए तैयार हैं। लिहाजा वे बंद के आह्वान को वापस लेने की सभी संगठनों से अपील करते हैं।

कांग्रेस को सताने लगी नुकसान की चिंता
अलग उत्तर कर्नाटक के मसले पर बंद का आह्वान के कारण कांगे्रस की परेशानी बढ़ गई है। कांग्रेस को इस मसले के कारण अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में नुकसान की चिंता सताने लगी है। बंद के आह्वान के एक दिन बाद भी जहां कुमारस्वामी के तेवर में तल्खी रही वहीं कांग्रेस के नेता हालात को संभालने की कोशिश करते दिखे।

कांग्रेस नेताओं ने इस बात को साफ तौर पर खारिज किया कि विधानसभा चुनाव परिणाम के आधार पर किसी क्षेत्र की उपेक्षा की जा रही है। जद-एस के 37 विधायकों में से सिर्फ पांच ही उत्तर कर्नाटक से हैं और उसका राजनीतिक आधार दक्षिण कर्नाटक में सिमटा हुआ है, इसे लेकर कांग्रेस ज्यादा परेशान है कि मामले के तूल पकडऩे पर उसे ज्यादा राजनीतिक उठाना पड़ सकता है। इस क्षेत्र से मंत्री बनाने का वादा भी इसी का नतीजा है।