
जीव आत्मा की मुक्ति के लिए पुरुषार्थ जरूरी
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के तत्वावधान में गोडवाड़ भवन में उपाध्याय रविंद्र मुनि ने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति के जीवन में राग द्वेष और मोह के त्रिकोण में मोह शीश पर रहता है। राग द्वेष को कमजोर व काबू करने पर वह स्वत: समाप्त हो सकता है।
अनंत काल से भटक रही व्यक्ति की जीव आत्मा की मुक्ति के लिए पुरुषार्थ जरूरी है।
ज्ञान व संतों के मार्गदर्शन के अभाव में मूढ़ता व मिथ्यात्व में अज्ञानता की वजह से भटक रहा श्रावक राम और रावण दोनों की जय करता है। किसी भी प्रकार के स्थाई सुख के लिए साधना के क्षेत्र में कदम बढ़ाने चाहिए। हमारे तीर्थंकरों, आचार्यों ने हमें अहिंसा, संयम और तप श्रेष्ठ उत्कृष्ट मार्ग बताए हैं। सीधा, साफ और स्पष्ट मार्ग अपनाने का चिंतन करना चाहिए।
गुरु सेवा के लाभ गिनाते हुए मुनि ने कहा कि रहस्यों के ज्ञाता गुरु अपनी सेवा करने वाले शिष्यों को अपनी साधना मर्म के रहस्य की अनुभूतियां देते हैं। उन्होंने माता-पिता को जीते-जागते भगवान बताते हुए कहा कि उनका कभी भी अपमान और तिरस्कार नहीं करना चाहिए। अर्हम मुनि ने गीतिका प्रस्तुत की।
रविंद्र मुनि ने ऋषभ मुनि के मासखमण के तहत 22वें उपवास तपस्या, चिकपेट शाखा के कार्यकारिणी सदस्य उत्तम चंद मूथा के 7वें आयम्बिल, महिला मंत्री पुष्पा बोहरा के 7वें उपवास तथा अन्य सभी श्रद्धालुओं की विभिन्न तपस्याओं की अनुमोदना की। चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने बताया कि गुरुवार को चौमुखी जाप के लाभार्थी चातुर्मास समिति के चेयरमैन गौतमचंद पुष्पा बाइ कटारिया का रविंद्र मुनि ने जैन दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया।
उपाध्यक्ष सुरेश कातरेला ने बताया कि धर्मसभा में मुख्य संयोजक रणजीतमल कानंूगा, हनुमंत नगर ट्रस्ट के अध्यक्ष नेमीचंद मुथा, विल्सन गार्डन संघ के मार्गदर्शक लादू लाल ओस्तवाल, प्रसन्न चंद मकाना, उत्तम चंद बाठिया, शांति नगर युवा संघ के संजय मूथा सहित विभिन्न उप नगरों के श्रद्धालु मौजूद रहे। यमुना नगर दिल्ली, अम्बाला के श्रद्धालुओं ने संतों के दर्शन कर आशीर्वाद लिए।

Published on:
03 Aug 2018 06:25 pm
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