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मंगलकारी पैंसठिया छंद के अनुष्ठान

साध्वी अमितप्रज्ञा, साध्वी कमलप्रज्ञा ने मंत्र का सामूहिक गान करवाया

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बेंगलूरु. राजाजीनगर में साध्वी संयमलता के सान्निध्य में महामंगलकारी पैंसठिया छंद के अनुष्ठान का आयोजन हुआ। इस अवसर पर साध्वी ने कहा कि धर्म पर जब जब संकट आया, परेशानी आई, विपदाएं आई, धर्म की अक्षुण्णता को कायम रखने के लिए हमारे धर्माचार्यों द्वारा प्राचीन मंत्रों की रचना हुई।

उन्होंने कहा कि अहमदाबाद के दरिया खाना पीर की दरगाह में आचार्य धर्मसिंह द्वारा पैंसठिया छंद की रचना हुई। इस छंद में चौबीसा तीर्थंकरों की स्तुति है। साध्वी अमितप्रज्ञा, साध्वी कमलप्रज्ञा ने मंत्र का सामूहिक गान करवाया। प्रारंंभ में पन्नालाल कोठारी, दानमल मेहता, नेमीचंद दलाल, मदन गांधी, महावीर दोसी, जम्बू दुग्गड़, मिश्रीमल कटारिया, शांतिलाल चाणोदिया, नेमीचंद बाबेल ने सजोड़े मंगल कलश की स्थापना की। पन्नलाल भरतकुमार कोठारी, शांतिकुमार चपलोत परिवार ने अनुष्ठान का लाभ लिया। सभी अनुष्ठान आराधकों को पैसंठिया रजत यंत्र प्रदान किए गए। दोपहर में महिला शिविर हुआ।


भोग की भूमि कर्म भूमि बन गई
बेंगलूरु. वियजनगर में साध्वी मणिप्रभा ने कहा कि आदिमकाल में मानव घूम-घूमकर जीवन को व्यतीत कर देता था। उस समय मानव कंद मूल को खाकर जीवन व्यतीत करता था। उस मानव को ज्ञान नहीं था कि कैसे अन्न उत्पन्न किया जाए। जब यह सब पता ही नहीं था तो उसे उस समय कल्पवृक्षों से जो भी प्राप्त होता था उसे ही भोग कर लेते थे। तो मानव को सबसे पहले कर्म सिखाने वाले उस युग के आदिनाथ भगवान यानी ऋषभ कुमार ने मानव को यह शिक्षा दी कि कर्म करो।

उन्होंने भोग भूमि को कर्म भूमि में बदल दिया। मानव को असि, मसि, कृषि सिखाई। असि से यानी शस्त्र को बनाने की कला सिखाई। मसि से यानी स्याही का उपयोग करना सिखाया। व्यापार से संबंधित काम सिखाए। कृषि से खेती करने की कला सिखाई। अनाज उत्पन्न करना सिखाया। इस प्रकार भोग भूमि कर्म भूमि में परिवर्तित हो गई।

सकारात्मकतामें जाने का करें प्रयास
केजीएफ. तेरापंथ सभा भवन में मुनि सुव्रत कुमार व मुनि मंगल प्रकाश के सान्निध्य में 'चातुर्मास के अनमोल क्षण करें स्वयं का आध्यात्मिक आरोहणÓ कार्यशाला आयोजित की गई। मुनि सुव्रतकुमार ने कहा कि हर समय हमारा चिंतन सकारात्मक रहना चाहिए व नकारत्मकता से सकारत्मकतामें जाने का प्रयास करना चाहिए। हर प्राणी के साथ सामंजस्य बैठाना चाहिए और हर सभी के प्रति आदर कि भावना रखनी चाहिए।
महिला मंडल अध्यक्ष कान्ता सेठिया ने स्वागत किया। मुनि मंगल प्रकाश ने कहा कि कैसे हम आध्यात्मिकता से भीतरी शक्तियों के पहचान सकते है। मंत्री भंवरी बाई हिंगड ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन सुमन बांठिया ने किया।