
प्रत्यारोपण के लिए यकृत को सही आकार में काटना चुनौती
बेंगलूरु. प्रत्यारोपण के लिए यकृत को जरूरत के हिसाब से काटना बड़ी चुनौती है। ब्रेन डेड (मस्तिष्क की मृत्यु) दाताओं की कमी दूसरी बड़ी बाधा है। इसलिए जीवित दाताओं पर ज्यादा निर्भरता होती है। जो परिवार के सदस्य या बेहद करीबी होते हैं।
विश्व अंगदान दिवस के उपलक्ष्य में नारायण हेल्थ सिटी में शुक्रवार को आयोजित जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे बाल यकृत प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. संजय रॉव ने कहा, दाता का यकृत छह से आठ सप्ताह में फिर से प्राकृतिक आकार ले लेता है। अस्पताल में 13 वर्षों में 80 बच्चों की यकृत प्रत्यारोपण सर्जरी हुई। बोन मैरो प्रत्यारोपण (बीएमटी) विशेषज्ञ डॉ. सुनील भट्ट ने कहा, रक्त कैंसर उन कुछ बीमारियों में से है जिसे आम तौर पर लाइलाज माना जाता है।
लेकिन बीएमटी से ऐसे मरीजों को बेहतर और लंबी जिंदगी दी जा सकती है। जबकि बीएमटी थैलेसीमिया का सटिक उपचार है। गुर्दा रोग विशेषज्ञों ने बताया कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, संक्रमण, टीबी (तपेदिक) व दर्द निवारक दवाओं के अत्याधिक सेवन से युवा मरीजों में भी गुर्दा फेल के मामले बढ़े हैं। पश्चिमी देशों में 10 लाख की आबादी पर 30 की तुलना में भारत में 0.5 गुर्दा ही प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध हो पाता है।
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तीन महीने बाद ढहेगा जयदेवा फ्लाई ओवर
बेंगलूरु. मेट्रो रेल निगम जयेदवा फ्लाई ओवर को ढहाने का काम अभी कम से कम तीन महीने के बाद शुरू करेगा। सड़क चौड़ीकरण होने के बाद ही फ्लाई ओवर को ढहाने काम शुरू होगा। इससे पहले बेंगलूरु महानगर परिवहन निगम की बसों व अन्य भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक मार्गों का भी इंतजमा किया जाएगा। मेट्रो रेल निगम ने क्षेत्र के विधायकों-रामलिंगा रेड्डी व सौम्या रेड्डी के साथ 10 रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में यह आश्वासन दिया है।
गौरतलब है कि सरकार ने सिल्क बोर्ड जंक्शन से रागी गुड्डा तक एलिवेटेड रोड और मेट्रो वायाडक्ट बनाने का निर्णय किया है। यह मार्ग आरवी रोड से बोमसंद्र तक होगा। यातायात पुलिस ने वैकल्पिक मार्ग के लिए मंजूरी दे दी है। बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका ने जयदेवा फ्लाईओवर के नीचे कचरा संग्रहण के लिए बने कचरा डिपो को स्थानांतरित करने की तैयारी शुरू कर दी है।

Published on:
11 Aug 2018 08:25 pm
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