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काफी हद तक कम हुआ जंगल की आग का प्रकोप

- लबालब हुए वाटरहोल

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टीकाकरण की भनक लगते ही भाग जाते थे जंगल

बेंगलूरु. पिछले कुछ वर्षों की तुलना में प्रदेश के दक्षिण आंतरिक क्षेत्र में एक अक्टूबर से नौ दिसंबर के बीच सबसे अधिक वर्षा हुई। भारी बारिश ने आगामी गर्मियों के दौरान बंडीपुर टाइगर रिजर्व और नागरहोले नेशनल पार्क व इसके आसपास के अन्य क्षेत्रों में जंगल की आग के खतरों का काफी हद तक कम कर दिया है।

पिछले कुछ वर्षों की तुलना में इस क्षेत्र में 1 अक्टूबर से 9 दिसंबर के बीच सबसे अधिक वर्षा हुई और इसलिए नमी की मात्रा अधिक है। आम तौर पर जून और सितंबर के बीच दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान बंडीपुर में बारिश होती थी। इसे कभी-कभी बंगाल की खाड़ी में बने दबाव और चक्रवाती प्रभाव से बारिश होने का फायदा मिलता था। हालांकि, दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक बंडीपुर और नागरहोले में कुछ हद तक जंगल सूख जाएंगे।

इस साल चामराजनगर जिले में 1 अक्टूबर से 9 दिसंबर के बीच सामान्य 248.3 मिमी के मुकाबले 439 मिमी बारिश हुई है। इसलिए अधिकारियों को विश्वास है कि गर्मियों के दौरान जंगल की आग का प्रकोप काफी हद तक कम हो गया है।

इसी तरह, मैसूर में इसी अवधि के दौरान 479.6 मीटर बारिश हुई है जो सामान्य 206.7 मिमी से काफी ज्यादा है। कोडुगू जिले में 542.9 मिमी बारिश हुई।

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बारिश के बावजूद सर्दियों की शुरुआत वह समय है जब वे फायरलाइन जलाना शुरू कर देते हैं और इस पर कोई समझौता नहीं होगा। अकेले बंडीपुर में लगभग 3,000 किलोमीटर की फायरलाइन जला दी जाएंगी। यह गर्मी की आग की तैयारी के पारंपरिक तरीकों में से एक है और सर्दियों के दौरान इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। जनवरी तक कार्य समाप्त करने की योजना है। काम जनवरी तक पूरा कर लिया जाएगा। 400 आदिवासियों को अस्थाई फायरवाचर के रूप में काम पर रखा जाएगा। वन्य जीवन के दृष्टिकोण से आगामी गर्मियों में पानी की कमी पैदा होने की उम्मीद नहीं है। बंडीपुर में करीब 300 से 350 वाटरहोल हैं और ये सभी भरे हुए हैं। अधिकारियों के अनुसार, बादलों की स्थिति और सर्दियों की शुरुआत को देखते हुए इस साल वाष्पीकरण भी कम होगा और इसलिए पीने के पानी की कोई बड़ी समस्या नहीं होगी।