
रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार व अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी एक ही अधिकारी को
बेंगलूरु. सवा तीन साल बाद सरकार ने देश की प्रमुख रक्षा शोध संस्था-रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) में पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था बहाल कर दी। अब डीआरडीओ प्रमुख ही पहले की तरह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार होने के साथ ही रक्षा अनुसंधान विकास विभाग (डीडीआरडी) का पदेन सचिव भी होंगे।
मई 2015 में सरकार ने डीआडीओ प्रमुख सह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार पद को अलग-अलग कर दिया था। हालांकि, नई व्यवस्था के तहत सिर्फ एक बार ही डीआरडीओ अध्यक्ष नियुक्ति हुई। इस व्यवस्था के तहत मई 2015 में डॉ एस. क्रिस्टोफर को अध्यक्ष बनाया गया था और उनसे कनिष्ठ रहे जी. सतीश रेड्डी को रक्षा मंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार बनाया गया था। क्रिस्टोफर को एक साल का कार्य विस्तार भी मिला था।
तीन महीने से रिक्त था पद
केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने डीआरडीओ अध्यक्ष के तीन महीने से रिक्त पद पर विशिष्ट एयरोस्पेस विज्ञानी रेड्डी को शनिवार को (डीआरडीओ) को नियुक्त करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया। वे रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार व रक्षा अनुसंधान विकास विभाग (डीडीआरडी) के सचिव भी होंगे। डॉ रेड्डी की नियुक्ति पद ग्रहण करने की तिथि से दो वर्ष या अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी। वे पिछले 31 मई को सेवानिवृत हुए क्रिस्टोफर की जगह लेंगे। क्रिस्टोफर के सेवानिवृत होने के बाद पश्चिम बंगाल कैडर के 198 2 बैच के भारतीय प्रशासनिक अधिकारी व रक्षा सचिव संजय मित्रा को 29 मई से तीन महीने के लिए अस्थायी प्रमुख नियुक्त किया गया था। क्रिस्टोफर की सेवानिवृति के बाद इस पद के लिए डीआरडीओ में काफी लॉबिंग हो रही थी।
डॉ रेड्डी मिसाइल वैज्ञानिक हैं और पिछले 4 जून 2015 को रक्षा मंत्री के 12 वें वैज्ञानिक सलाहकार का पदभार संभाला था। उन्हें मिसाइल प्रणाली और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में अपने अनुसंधान एवं विकास के लिए मशहूर हैं। उन्होंने जड़त्वीय सेंसर, नौवहन योजनाओं, लघुगणक प्रणालियों, जांच पद्धतियों, सेंसर मॉडल, सिमुलेशन, उपग्रह नौवहन रिसीवर और हाइब्रिड नौहवन प्रणालियों के विकास के लिए उनकी अवधारणा तैयार की एवं उसकी डिजाइनिंग से लेकर विकास में अग्रणी भूमिका निभाई।
देश के सामरिक कार्यक्रमों का नेतृत्व करते हुए उन्होंने उन्नत उत्पादों एवं एवियोनिक्स प्रणाली की विभिन्न किस्मों का विकास किया जिसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। जवाहर लाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जेएनटीयू) आंध्र प्रदेश से इलेक्ट्रोनिक्स एवं संचार इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि हासिल करने वाले रेड्डी शीर्ष नौवहन वैज्ञानिकों में शुमार हैं। उन्हें रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ नेविगेशन लंदन और रॉयल एयरोनॉटिकल सोसायटी ब्रिटेन में मानद फेलो के तौर पर शामिल किया गया और एकेडमी ऑफ नेविगेशन एंड मोशन कंट्रोल, रुस में विदेशी सदस्य के तौर पर शामिल होने का गौरव प्राप्त है।
Published on:
25 Aug 2018 09:07 pm
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