
नतीजे तय करेंगे आम चुनाव में सियासी जंग की दिशा
बेंगलूरु. अगले महीने होने वाले तीन लोकसभा और दो विधानसभा उपचुनाव के नतीजे राज्य में अगले साल होने वाले आम चुनाव के सियासी मुकाबले की दिशा भी तय करेंगे। इन उपचुनावों में सत्तारुढ़ गठबंधन और विपक्ष की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। भाजपा और जद-एस के दिग्गजों को अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
भाजपा को अपनी दो लोकसभा सीटें बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है तो सत्तारुढ़ जनता दल-एस को एक विधानसभा और एक लोकसभा पर कब्जा बरकरार रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
गठबंधन में शामिल कांग्रेस को भी अपनी एक विधानसभा सीट बचाए रखने के लिए पूरी शक्ति झोंकनी पड़ रही है। कांग्रेस बल्लारी लोकसभा सीट छीनकर भाजपा को झटका देना चाहती है तो भाजपा जमखंडी विधानसभा सीट कांग्रेस और रामनगर विधानसभा सीट जद-एस से छीनकर गठबंधन को आम चुनाव से पहले मात देना चाहती है। शिवमोग्गा लोकसभा सीट को लेकर भाजपा और जद-एस में कांटे की टक्कर है।
पहले यह सीट कांग्रेस के कोटे में थी लेकिन भाजपा की मुश्किल बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने यह सीट सहयोगी जद-एस को दे दी। हालांकि, जद-यू ने महिमा पटेल को उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। मण्ड्या लोकसभा सीट से भाजपा ने एक चेहरे को उतारा है जबकि जद-एस ने पुराने चेहरे को उतार कर सीट बचाए रखने की कोशिश की है।
लोकसभा उपचुनाव पार्टियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। मुश्किल से छह महीने के कार्यकाल के लिए होने वाले इस चुनाव को लेकर तीनों पार्टियों शुरू में उदासीन थीं लेकिन पांच विधानसभा चुनावों से पहले परिणाम आने के कारण इसके प्रभाव को लेकर अब ज्यादा गंभीर है।
मण्ड्या और रामनगर छोड़कर भाजपा ने तीन सीटों के प्रत्याशी आसानी से तय कर लिए लेकिन गठबंधन को तीनों लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी तय करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
कांग्रेस को बल्लारी में विधायकों में आम सहमति नहीं बन पाने के कारण ऐसे चेहरे को टिकट देना पड़ा जो दोनों पक्षों को स्वीकार हो जबकि शिवमोग्गा में उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिलने के कारण कांग्रेस ने यह सीट जद-एस को दे दी। जद-एस को अपने मजबूत राजनीतिक किले मण्ड्या में भी उम्मीदवार तलाशने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
पहले पार्टी के मुखिया एच डी देेवेगौड़ा के परिवार के सदस्यों को टिकट मिलने की चर्चा थी लेकिन कार्यकर्ताओं की नाराजगी से बचने के लिए पार्टी ने परिवार के किसी सदस्य को मण्ड्या से उतारने की योजना बदल दी।
इसके बाद पार्टी के नेताओं में टिकट के लिए घमासान की स्थिति बन गई। डॉ लक्ष्मी अश्विन गौड़ा व एल आर शिवराम गौड़ा के बीच टिकट को लेकर अंतिम क्षण तक शह-मात का खेल चलता रहा है। पार्टी ने पूर्व विधायक शिवराम को टिकट दे दिया।
Published on:
16 Oct 2018 04:46 pm
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