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सरकार बनाने का दिवास्वप्न देखने वालों को मिलेगा करारा जवाब

उपचुनाव को मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव का सेमीफाइनल कहा है

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सरकार बनाने का दिवास्वप्न देखने वालों को मिलेगा करारा जवाब

बेंगलूरु. राज्य के तीन लोकसभा सीटों के लिए 3 नवम्बर हो होने वाले उपचुनाव को मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव का सेमीफाइनल कहा है। यहां सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि इन उपचुनावों के नतीजे कांग्रेस और जद-एस गठबंधन सरकार के प्रदर्शन का पैमाना होंगे।

उन्होंने कहा कि उपचुनावों में यह साबित हो जाएगा कि कांग्रेस-जद-एस गठबंधन 'पवित्रÓ है या 'अवसरवादी।Ó मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कहती है कि दोनों पार्टियों ने यह गठबंधन केवल उन्हें सत्ता से दूर रखने के लिए किया है। इस गठबंधन को अवसरवादी और अपवित्र कहने वाली भाजपा को चुनाव परिणामों से पता चल जाएगा कि किसके दावे में कितना दम है।

उन्होंने विश्वास जताया कि कांग्रेस और जद-एस गठबंधन के उम्मीदवार लोकसभा की तीनों और विधानसभा की दोनों सीटों पर जीत दर्ज कर उपचुनाव में सौ फीसदी सफलता दर्ज करेंगे। सरकार के अभी भी नहीं काम कर पाने के भाजपा के बयान की आलोचना करते मुख्यमंत्री ने कहा कि मतदाता इस बार उपचुनावों में इसका जवाब देंगे और उन्हें सबक सिखाएंगे।

चुनाव परिणामों के बाद भगवा दल गैर वाजिब बयान देना, बेवजह सरकार की आलोचना करना छोड़ देंगे और असंसदीय शब्दों का प्रयोग भी बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि, अगले ही वर्ष लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं इसलिए उन्हें उम्मीद नहीं थी कि राज्य में उपचुनाव भी होंगे।

इसकी बिल्कुल आशा नहीं थी। यहां तक की भाजपा भी सिर्फ छह महीने के लिए चुनाव नहीं चाहती है। लेकिन, जब यह चुनाव अवश्यंभावी हो गया है तो वे इसका सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इससे पहले शिवमोग्गा से पार्टी उम्मीदवार मधु बंगारप्पा ने कुमारस्वामी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच डी देवेगौड़ा से मुलाकात की।

अनिता को उतारने का फैसला मेरा नहीं
उन्होंने कहा कि रामनगर विधानसभा क्षेत्र में अनिता को प्रत्याशी बनाने का फैसला उनका फैसला नहीं है। स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ किए गए वादे के अनुसार पार्टी ने अनिता को प्रत्याशी बनाने का फैसला किया है।

वर्ष 2008 में जब उन्होंने इस क्षेत्र से त्यागपत्र दिया था, तब पार्टी ने यहां एक सामान्य कार्यकर्ता को टिकट देकर सफलता हासिल की थी। उपचुनाव में परिवारवाद हावी होने के बारे में उन्होंने कहा कि पारिवारिक राजनीति अनिवार्य होने के कारण ऐसा हुआ है। आनेवाले दिनों में कार्यकर्ताओं को अवसर प्रदान किया जाएगा।