
स्वयं का दिग्दर्शन कराने वाली रचना है 'मेरी भावना'
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, चिकपेट शाखा के तत्वावधान में गोड़वाड़ भवन में उपाध्याय प्रवर रविंद्र मुनि के सान्निध्य में रमणीक मुनि ने कहा कि यदि प्रतिदिन एक बार 'मेरी भावना' की गहराई में डुबकी लगाएं, अपने आचरण पर दृष्टिपात करें तथा आचरण में कितना अंतर है यह देखते जाएं तो जीवन में आचरण स्वतंत्र चला आएगा।
जो मंत्रों के चमत्कार होते हैं वह चमत्कार हमारे जीवन में घटित होंगे। बाहर के मंत्र दूसरों पर प्रभाव डालते हैं, लेकिन यह महामंत्र हमारे स्वयं के जीवन पर प्रभाव डालता है। जैन साहित्य में गुरु की प्रार्थना करने वाले खूब स्तोत्र मंत्र हैं, लेकिन स्वयं का दिग्दर्शन कराने वाली एकमात्र रचना मेरी भावना है। इसमें किसी का गुण अनुवाद नहीं, बल्कि स्वयं की भावना के दर्शन होते हैं।
खाली दिमाग शैतान का घर
चामराजनगर. गुंडलपेट स्थानक में साध्वी साक्षी ज्योति ने प्रवचन में कहा कि भगवान महावीर स्वामी दीक्षा लेकर साढ़े बारह वर्ष तक मौन रहे। धन, वैभव से खाली हो गए, मगर दिमाग खाली नहीं हुआ। साढ़े बारह वर्ष तक दिमाग को चलाया।
मन को चिंतन, मनन में लगाया। इतना लगाया कि उनके कर्मों की परतें उतरती चली गईं और उन्हें केवलज्ञान, केवलदर्शन प्राप्त हो गया। उन्होंने कहा कि दिमाग की शक्ति दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है।
यह सद्राह पर लग जाए तो गुमराह हुई दुनिया को भी सद्राह पर लाया जा सकता है। दिमाग की शक्ति गलत राह पर लग जाती है तो स्वयं एवं दुनिया दोनों विध्वसंक बन जाती है। साध्वी ने कहा कि दिमाग की शक्ति को कार्य नहीं मिलता है तो उसकी ऊर्जा जीवन एवं जगत दोनों के लिए खतरे की घंटी बन जाती है। इसलिए अपनी दिमाग रूपी शक्ति को तप, त्याग करने व भलाई की बातें सोचने में लगाओ।
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साध्वी सीता का निधन
बेंगलूरु. लुधियाना में चातुर्मास के दौरान साध्वी सीता के चार दिन के संलेखना संथारा सहित देवलोकगमन हो जाने पर सोमवार को जैन स्थानक हनुमंतनगर में प्रवचन स्थगित रखा गया। वे श्रमण संघ में सबसे दीर्घ संयम पर्याय का पालन करने वाली महासाध्वी थीं। उनका 92 वर्ष की आयु में देवलोकगमन हुआ। संचालन संघ के उपाध्यक्ष अशोक कुमार गादिया ने किया।
Published on:
16 Oct 2018 05:35 pm
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