
हर शंका का समाधान आगम में है-श्रुतमुनि
बेंगलूरु. राजाजीनगर स्थानक में उपप्रवर्तक श्रुतमुनि ने कहा कि पूर्व में तीर्थंकर भगवा की वाणी आज हमारे बीच आगम के रूप में उपलब्ध है। हर शंका का समाधान आगम में है। समयानुसार अनेक आगम लुप्त हो गए हंै किन्तु जो भी आज उपलब्ध है, वही हमारे लिए ज्ञान प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।
अंतगड़दशांक सूत्र के अंतगर्त 90 महान आत्माएं पर्युषण पर्व के दौरान मोक्ष को प्राप्त हुई। इन्हीं महान आत्माओं के जीवन के बारे में उनके द्वारा की गई सुदीर्घ तपस्या, कैसे उन्होंने अपनी काया को तपाया। इस सूत्र में दो तीर्थंकर अरिष्टनेमी एवं महावीर स्वामी तथा दो राजा कृष्ण भगवान एवं श्रेणिक महाराज का वर्णन आया है। जब गोशालक ने भगवान महावीर पर तेजोलेश्या का प्रयोग किया एवं जनमानस चिंतित हो उठा, तब भगवान महावीर ने कहा कि तेजोलेश्या से विचलित होने की आवश्यकता नहीं है, मेरे 16 चातुर्मास और शेष हंै। इसिलिए जब भगवान का पावापुरी ने चातुर्मास किया तब सभी ने यह पूर्वानुमान लगा लिया कि यह चातुर्मास तीर्थंकर भगवान का अंतिम चातुर्मास है। तप रत्नाकर अक्षरमुनि के तीन दिवसीय संयमोत्सव के अंतर्गत आज अष्ठ कर्म तप साधना एवं निर्जरा तप के आयोजन हुए। सवा पांच घण्टे का नवकार महामंत्र जाप स्थानक भवन में एव 11 घण्टे का पैंसठिया मंत्र का जाप घर-घर में गतिमान है। आज का जाप संघ अध्यक्ष जंबुकुमार दुगड़ के यहां हुआ।
आज की धर्मसभा में संतोषबाई पदमचन्द आच्छा की पुत्री याशिका आच्छा ने अपनी कर्म निर्जरा के लिए 20 उपवास के प्रत्याख्यान अंगीकार किए। श्रुतमुनि ने कहा कि छोटी उम्र में इतनी बड़ी तपस्या करना वाकई आत्मबल को सुदृढ़ और काया को तपाना महान कार्य है। हम बालिका याशिका के सुदीर्घ तप की अनुमोदना करते हंै। राजाजीनगर संघ की ओर से तपस्विनी का अभिनंदन किया गया। आज प्रवचन में औरंगाबाद, चेन्नई एवं अन्य शहरों के साथ-साथ बेंगलूरु के अनेक उपनगरों के श्रद्धाल उपस्थित थे।
Published on:
19 Aug 2022 07:54 am
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