
बेंगलूरु. सिद्धाचल स्थूलभद्र धाम में आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर व प्रवर्तक प्रवर कलापूर्ण विजय की निश्रा में नवकार मंत्र का अष्ट विद्या पूर्वक जाप किया गया। आचार्य ने कहा कि मनुष्य के मन को नियंत्रण करे वह मंत्र है। जो मनुष्य के तन को नियंत्रण करे वह तंत्र है और जो मनुष्य के वस्त्रों पर नियंत्रण स्थापित करे वह यंत्र है।
नवकार मंत्र कुंडलिनी शक्ति, चैतन्य शक्ति, आत्मिक और अतिन्द्रिय शक्ति को जागृत करने में मदद करता है। मनुष्य के अंदर परम ऊर्जा का स्रोत, नवकार मंत्र से पैदा होता है। जीवन में मुसीबतें आती है तभी व्यक्ति मंत्र के शरण में पहुंचता है परंतु नवकार मंत्र के प्रभाव से अंतर्मन को शांति, आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। फूलचंद करबावाला ने गुरु उपकारों का स्मरण किया।
आत्मा में रहने वाला ही सम्यक ज्ञानी
मैसूरु. सुमतिनाथ जैन संघ के तत्त्वावधान में महावीर भवन में आचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि जो ज्ञान आत्मा में रहे, अज्ञान को दूर करे, राग द्वेष के भावों को दूर करे और आत्म हित के लिए प्रेरित करे, वह ज्ञान ही सच्चा सम्यक ज्ञान है। इस ज्ञान का धारण करने वाला सम्यक ज्ञानी है। आज देश दुनिया में ज्ञान तो बढ़ रहा है, परंतु लगभग मिथ्याज्ञान का ही प्रचार प्रसार हो रहा है, इसके फलस्वरूप जीवन में राग द्वेष के भाव, दिन प्रतिदिन बढ़ते जाते हैं। इसी कारण सर्वत्र संघर्ष और अशांति का वातावरण है। संपूर्ण विश्व में आज अशांति की आग धधक रही है और इसका मुख्य कारण सम्यक ज्ञान का अभाव है और मिथ्या ज्ञान का जोर शोर से प्रचार प्रसार है।
विष्णु सहस्त्रनाम पाठ गतिमान
तिरुपति. गोधाम पथमेड़ा के संस्थापक स्वामी दत्तशरणानंद के सान्निध्य में तिरुमला तिरुपति धाम में भगवान बालाजी का विष्णु सहस्त्रनाम पाठ जारी है। अनुष्ठान में प्रतिदिन 52 पीठ से भगवान बालाजी के विष्णु सहस्त्रनाम के साथ 100000 से अधिक तुलसी दल से अर्चन शास्त्रीय विधि से संपन्न कराया जाता है।
Published on:
03 Aug 2018 06:38 pm
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