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मंत्रिमंडल और कांग्रेस संगठन में फिलहाल कोई फेरबदल के आसार नहीं, डीके शिवकुमार पद पर बने रहेंगे

राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर चल रही रस्साकशी का फिलहाल अंत हो गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे और पार्टी हाई कमान ने उन्हें हटाने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा, मंत्रिमंडल में फिलहाल कोई फेरबदल होने की संभावना भी नहीं है।

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कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर चल रही रस्साकशी का अंत

बेंगलूरु. राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर चल रही रस्साकशी का फिलहाल अंत हो गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे और पार्टी हाई कमान ने उन्हें हटाने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा, मंत्रिमंडल में फिलहाल कोई फेरबदल होने की संभावना भी नहीं है।

सूत्रों के अनुसार पार्टी में उनके योगदान को देखते हुए आलाकमान शिवकुमार को बदलने के लिए उत्सुक नहीं है। विधानसभा चुनाव जीतने, लोकसभा चुनाव के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने और तीनों विधानसभा उपचुनाव जीतने में उनका योगदान बहुत बड़ा है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, पार्टी आलाकमान कम से कम इस साल नवंबर-दिसंबर तक शिवकुमार को बदलने के लिए इच्छुक नहीं है।

प्रदेश में कांग्रेस नेताओं के बीच चर्चा है कि शिवकुमार को इस साल के अंत तक पद पद बने रहने की हरी झंडी मिली है लेकिन, दूसरा खेमा यह भी कह रहा है कि यह लगभग वही समय होगा, जब कथित तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा।

शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या पिछले गुरुवार और शुक्रवार को नई दिल्ली के दो दिवसीय दौरे पर थे, जहां उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ बैठक की। सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल में फेरबदल, विधान परिषद के चार रिक्त सीटों पर मनोनयन और मंत्रियों और विधायकों पर हनी ट्रैप के प्रयासों पर भी चर्चा हुई। एक अन्य पार्टी पदाधिकारी ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने विधान परिषद में मनोनयन के लिए उम्मीदवारों के चयन का काम सिद्धरामय्या और शिवकुमार पर छोड़ दिया है।

हनी ट्रैप मामले को लेकर राहुल नाराज

शीर्ष सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी हनी ट्रैप मामला विधानसभा में उठाए जाने के तरीके से नाराज हैं। उनका मानना था कि इस मुद्दे पर विधानसभा के अंदर चर्चा नहीं होनी चाहिए थी, खासकर सहकारिता मंत्री के एन. राजण्णा को इस मामले पर सदन में बयान नहीं देना चाहिए था। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपनी नाखुशी का इजहार मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के सामने भी किया और सीएम उन्हें संतुष्ट करने में सफल नहीं हो सके। हालांकि, सीएम ने कहा कि राजण्णा ने खुद इस मामले को नहीं उठाया। विपक्ष के एक सदस्य के मामले को उठाने और उनका लिए जाने के बाद राजण्णा ने अपनी बात कही।- शिवकुमार के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहने के आसार

- प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर चल रही रस्साकशी का अंत

बेंगलूरु. राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर चल रही रस्साकशी का फिलहाल अंत हो गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे और पार्टी हाई कमान ने उन्हें हटाने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा, मंत्रिमंडल में फिलहाल कोई फेरबदल होने की संभावना भी नहीं है।

सूत्रों के अनुसार पार्टी में उनके योगदान को देखते हुए आलाकमान शिवकुमार को बदलने के लिए उत्सुक नहीं है। विधानसभा चुनाव जीतने, लोकसभा चुनाव के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने और तीनों विधानसभा उपचुनाव जीतने में उनका योगदान बहुत बड़ा है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, पार्टी आलाकमान कम से कम इस साल नवंबर-दिसंबर तक शिवकुमार को बदलने के लिए इच्छुक नहीं है।

प्रदेश में कांग्रेस नेताओं के बीच चर्चा है कि शिवकुमार को इस साल के अंत तक पद पद बने रहने की हरी झंडी मिली है लेकिन, दूसरा खेमा यह भी कह रहा है कि यह लगभग वही समय होगा, जब कथित तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा।

शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या पिछले गुरुवार और शुक्रवार को नई दिल्ली के दो दिवसीय दौरे पर थे, जहां उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ बैठक की। सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल में फेरबदल, विधान परिषद के चार रिक्त सीटों पर मनोनयन और मंत्रियों और विधायकों पर हनी ट्रैप के प्रयासों पर भी चर्चा हुई। एक अन्य पार्टी पदाधिकारी ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने विधान परिषद में मनोनयन के लिए उम्मीदवारों के चयन का काम सिद्धरामय्या और शिवकुमार पर छोड़ दिया है।

हनी ट्रैप मामले को लेकर राहुल नाराज

शीर्ष सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी हनी ट्रैप मामला विधानसभा में उठाए जाने के तरीके से नाराज हैं। उनका मानना था कि इस मुद्दे पर विधानसभा के अंदर चर्चा नहीं होनी चाहिए थी, खासकर सहकारिता मंत्री के एन. राजण्णा को इस मामले पर सदन में बयान नहीं देना चाहिए था। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपनी नाखुशी का इजहार मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के सामने भी किया और सीएम उन्हें संतुष्ट करने में सफल नहीं हो सके। हालांकि, सीएम ने कहा कि राजण्णा ने खुद इस मामले को नहीं उठाया। विपक्ष के एक सदस्य के मामले को उठाने और उनका लिए जाने के बाद राजण्णा ने अपनी बात कही।