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देवी चामुंडेश्वरी के रथोत्सव में उमड़े हजारों श्रद्धालु

परंपरा: विजयादशमी के बाद प्रत्येक वर्ष होता है आयोजन पूर्व मैसूरु राजपरिवार के प्रमुख यदुवीर कृष्णदत्ता चामराजा वाडियार की अगुवाई में में शुरू हुआ विधान

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देवी चामुंडेश्वरी के रथोत्सव में उमड़े हजारों श्रद्धालु

मैसूरु. महलों के शहर मैसूरु की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी के वार्षिक रथोत्सव में मंगलवार को हजारों लोग शामिल हुए। प्रत्येक वर्ष विजय दशमी के बाद चामुंडी पहाड़ी पर इसका आयोजन होता है।

मंदिर के मुख्य पुजारी डॉ. शशिशेखर दीक्षित के नेतृत्व में देवी चामुंडेश्वरी की विशेष पूजा की गई और बाद में पूर्व मैसूरु राजपरिवार के प्रमुख यदुवीर कृष्णदत्ता चामराजा वाडियार की अगुवाई में शुभ मुहूर्त वृश्चिक लग्न में विधान शुरू हुआ। इस अवसर पर उच्च शिक्षा एवं जिला प्रभारी मंत्री जीटी देवेगौड़ा सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और चहुंओर गुंजायमान मंत्रों और श्लोकों के बीच यदुवीर ने मंदिर में प्रार्थना की, जिसके बाद प्रधान देवी (उत्सव मूर्ति) चामुंडेश्वरी की मूर्ति मंदिर से बाहर लाई गई और निकटवर्ती महाबलेश्वर मंदिर में ले जाया गया, जहां मंटपोत्सव अनुष्ठान किए गए थे।

इसके बाद, मुख्य पुजारी शशिशेखर दीक्षित के नेतृत्व में पुजारियों के एक दल ने नादुचप्पारा अनुष्ठान किया। बाद में देवी की मूर्ति को रथ में विराजित किया गया और करीब 45 मिनट में रथ ने मंदिर के चारों ओर की परिधि पूरी की। महारथोत्सव को लेकर जिला प्रशासन ने चामुंडी पहाड़ी पर सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की थी।

पूरे दिन चले विशेष विधानों के दौरान अनुमानत: करीब 60 हजार लोग शामिल हुए। उत्सव की वजह से सुबह से ही चामुंडी पहाड़ी पर उत्सवी नजारा रहा और अलसुबह से ही लोगों को आना शुरू हो गया। इस दौरान पुलिस बैंड ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी। डीसीपी (कानून और व्यवस्था) एन. विष्णुवर्धन ने अपने मार्गदर्शन में पूरी सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखी।

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मैसूरु महोत्सव के बाद जंगल शिविर रवाना हुए शेष 3 गजराज
मैसूरु. महल परिसर में सोमवार को आयोजित पूर्व मैसूरु राजपरिवार के विजयदशमी अनुष्ठानों के बाद दशहरा महोत्सव के तीन हाथियों उनके संबंधित वन्य शिविरों के लिए रवाना कर दिया गया।

विजय दशमी के दिन राजपरिवार के दो पारिवारिक सदस्यों का निधन हो गया था, जिस कारण महल परिसर में दशहरा संबंधी विजय दशमी विधान २२ अक्टूबर तक के लिए टाल दिया गया था।

इस कारण महोत्सव में शामिल होने आए 12 में से 9 हाथियों को रविवार को वापस जंगल शिविरों में भेज दिया गया था, जबकि राजपरिवार के विजय दशमी विधानों के लिए विक्रम, गोपी और विजया को एक दिन के लिए रोक लिया गया था। विजय दशमी विधान संपन्न होने के बाद तीनों हाथियों को उनके जंगल शिविर के लिए रवाना किया गया।