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बेंगलूरु के आसमान में आमने-सामने आ गए थे इंडिगो के दो विमान

ऊंचाई में मात्र 200 फीट का ही अंतर रह गया था, दोनों विमानों में 328 यात्री सवार थे

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Indigo air craft just saved in Lucknow airport flying for KolKata

Indigo air craft just saved in Lucknow airport flying for KolKata

बेंगलूरु. निजी विमानन कंपनी इंडिगो के दो विमान बेंगलूरु के आसमान में टकराने से बच गए और बड़ा हादसा टल गया। दोनों विमान आमने-सामने आ गए और उनके बीच सिर्फ ४ हवाई मील (लगभग ७.४ किलोमीटर) की दूरी थी। हालांकि, दोनों विमानों के बीच ऊंचाई में दूरी २०० फीट का अंतर था। अगर समय पर हादसा चेतावनी प्रणाली सतर्क नहीं करती तो दोनों विमान टकरा सकते थे। दोनों विमानों में सवार ३२८ यात्री बाल-बाल बच गए। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) मामले की जांच कर रहा है। घटना मंगलवार की है, लेकिन सामने गुरुवार को ही आई।
मिली जानकारी के मुताबिक घटना रात करीब ११ बजे की है। इंडिगो का एक विमान (६ई-७७९) कोयम्बटूर से हैदराबाद की उड़ान पर था जबकि दूसरा विमान (६ई-६५०५) बेंगलूरु से कोच्चि जा रहा था। हवाई यातायात नियंत्रक (एटीसी) ने हैदराबाद जा रहे विमान को आसामन में ३६ हजार फीट की ऊंचाई पर रहने के लिए तो कोच्चि के लिए कुछ समय पहले उड़ान भरने वाले विमान को २८ हजार फीट की ऊंचाई पर उडऩे के लिए कहा था। बेंगलूरु के आसमान में एक-दूसरे के पास से गुजरते समय दोनों ही विमानों के बीच ८ हजार फीट की दूरी रहनी थी, लेकिन दोनों विमानों की ऊंचाई में सिर्फ २०० फीट का ही अंतर था। जब हादसा चेतावनी प्रणाली ने दोनों विमानों को चेताया तब हैदराबाद जा रहे विमान की ऊंचाई २७ हजार ३०० फीट थी जबकि कोच्चि जा रहा विमान २७ हजार ५०० फीट की ऊंचाई पर था। दोनों विमानों के बीच ऊंचाई में मात्र २०० फीट का अंतर किसी भी क्षण बड़े हादसे का कारण बन सकता था। हैदराबाद जा रहे विमान में जहां १६२ यात्री सवार थे तो कोच्चि जा रहे विमान में १६६ यात्री। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी कम दूरी करीब ९०० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उडऩे वाले विमानों के लिए सुरक्षित नहीं मानी जाती है, सतर्कता में चूक से चंद पलों में दोनों विमान आमने-सामने हो सकते थे। दोनों ही विमान एयरबस ३२० श्रेणी के थे।
सूत्रों के मुताबिक विमानों के बीच काफी कम दूरी रहने पर दोनों विमानों के यातायात चेतावनी व टकराव बचाव प्रणाली (टीसीएएस) का अलार्म बजने लगा और इसी कारण आसमान में हादसा टाला जा सका। इंडिगो ने बुधवार को जारी बयान में घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि उसने इसके बारे में नागरिक उड्डयन नियामक को सूचित किया है। सूत्रों का कहना है कि विमान हादसा जांच बोर्ड (एएआइबी) मामले की जांच कर रहा है। देवनहल्ली स्थित कैंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा ने बयान जारी कर कहा कि घटना उसके उड्डयन क्षेत्र से कुछ दूरी पर हुई और दोनों विमानों के पायलट को सतर्कता प्रणाली ने दूसरे विमान के करीब होने के बारे में आगाह किया। बेंगलूरु का हवाई क्षेत्र तीन उड्डयन भागीदारों- कैंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, एचएएल हवाई अड्डा और यलहंका वायुसैनिक अड्डे के बीच बंटता है। सूत्रों का कहना है कि घटना एचएएल के हवाई क्षेत्र में हुई थी। जानकारों के मुताबिक आसमान में उड़ान भरे विमानों के बीच दूरी और ऊंचाई के मानक क्षेत्र के हिसाब से अलग-अगल होते हैं। जानकारी के मुताबिक कैंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा की हवाई पट्टी के लिए यह सिर्फ ३ हवाई मील तो शहर से दूर के इलाके के लिए १० हवाई मील मानी जाती है। हालांकि, एचएएल हवाई अड्डे के लिए यह ५ हवाई मील है।

क्या है टीसीएएस
टीसीएएस एक ट्रांसपोंडर आधारित प्रणाली है जो किसी विमान के आस-पास उड़ान भर रहे इस तकनीक से लैस दूसरे विमानों की गतिविधियों पर नजर रखता है और पायलट को संभावित टकराव की स्थिति को लेकर चेतावनी देता है। यह दोनों विमानों को टकराव से बचने के लिए वांछित दूरी बनाए रखने को लेकर भी आगाह करता है। नियमों के मुताबिक १९ से ज्यादा यात्रियों को ले जाने वाले बड़े विमानों के लिए यह प्रणाली अनिवार्य है।