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नालंदा की प्राचीन परंपरा को फिर से करेंगे जीवित : दलाई लामा

उसने संस्कृत के ग्रंथों का अनुवाद 300 खंड में तिब्बती भाषा में कराया था

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नालंदा की प्राचीन परंपरा को फिर से करेंगे जीवित : दलाई लामा

बेंगलूरु. तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा ने शुक्रवार को नालंदा की प्राचीन संस्कृति को फिर से जीवित करने की प्रतिबद्धता को दोहराता हुए कहा कि आधुनिक भारत को इस प्राचीन ज्ञान की जरूरत है। शुक्रवार को केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीएटी) की ओर से निर्वासन के 60 साल पूरे होने पर कृतज्ञता जताने के लिए चल रहे 'धन्यवाद भारत-2018' श्रृंखला के तहत आयोजित कार्यक्रम में दलाई लामा ने कहा कि सातवीं शताब्दी में तिब्बत के एक राजा का परिचय बौद्ध धर्म की संस्कृति से हुआ था जो कि तार्किक निष्कर्षों पर आधारित था और उसने संस्कृत के ग्रंथों का अनुवाद 300 खंड में तिब्बती भाषा में कराया था।

उन्होंने कहा कि मेरी नवीनतम प्रतिबद्धता भारत के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक भारत में पुनर्जीवित करने की है। हमने इस सिलसिले में काम भी शुरू कर दिया है और कुछ प्रगति भी की है। दलाई लामा ने कहा कि नालंदा एक समय मेें सबसे बड़ा मठ और बौद्ध शिक्षा का केंद्र था जिसे आक्रमणकारियों ने मध्ययुगीन दौर में नष्ट कर दिया था। भारत दुनिया का एक मात्र देश है जो प्राचीन भारतीय ज्ञान को मन और मनोविज्ञान से जोडऩे के साथ ही विनाशकारी भावनाओं से निपटने के तरीके बारे में बता सकता है।

दलाई लामा ने नालंदा की परंपरा के बारे में बताते हुए कहा कि तब भिक्षु कहते थे किसी सिद्धांत या पर परंपरा पर विश्वास करने से पहले सवाल पूछें और तार्किक दृष्टिकोण और जांच के बाद ही भरोसा करें। दलाई लामा ने कहा कि वे भारत की धर्मनिरपेक्ष परंपरा का सम्मान करते हैं लेकिन वे जिस नालंदा परंपरा की चर्चा कर रहे हैं वह पूरी तरह अकादमिक है।

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने भरोसा दिलाया कि राज्य में बसे तिब्बती शरणार्थियों को सरकार की तरफ से हरसंभव सहयोग दिया जाएगा। मुख्यमंत्री शुक्रवार को यहां दलाई लामा की मौजूदगी में तिब्बतियों द्वारा आयोजित धन्यवाद कर्नाटक कार्यक्रम में अभिनंदन स्वीकार करने के बाद बोल रहे थे। भारत व तिब्बत के बीच घनिष्ठ संबंध रहे हैं।

निजलिंगप्पा जब राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर थे, तब उन्होंने राज्य में तिब्बतियों को आश्रय दिया और तब से लेकर अब तक सरकार उन्हें पूरा सहयोग देती आ रही है। मैसूरु, चामराजनगर तथा उत्तर कन्नड़ जिलों में तिब्बतियों को खेतीबाड़ी व आवास के लिए भूमि मंजूर की गई है। राज्य सरकार भविष्य में बी उनके विकास में पूरा सहयोग देती रहेगी। इस मौके पर दलाई लामा ने कुमारस्वामी को धर्म च्रक प्रदान कर सम्मानित किया।