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देलवाड़ा: मुर्गों के दंगल और सट्टेबाजी पर खानापूर्ति, मजबूरी में नहीं छूट पाई गाडि़यां

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मुर्गों के दंगल और सट्टेबाजी पर खानापूर्ति, मजबूरी में नहीं छूट पाई गाडि़यां

घाटोल. मोटागांव थाना क्षेत्र के देलवाड़ा में रविवार को मुर्गों के दंगल और उस पर सट्टेबाजी के खुलासा के बाद दूसरे दिन मामले में पुलिस लीपापोती और खानापूर्ति करती नजर आई। हालांकि मनमाने तरीके से सार्वजनिक मैदान में सट्टे का केंद्र बनाने से स्थानीय ग्रामीणों में रोष को देखते हुए पुलिस हरकत में है, लेकिन अब तक प्रकरण में एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
गौरतलब है कि पत्रिका ने मामले को सोमवार के अंक में प्रमुखता से उठाया। इसके चलते रविवार रात तक की जांच के बारे में कुछ बताने से परहेज कर रही मोटागांव पुलिस ने दूसरे दिन प्रेस नोट जारी किया। इसमें थानाधिकारी उदयसिंह ने १५-२० लोगों द्वारा देलवाड़ा स्कूल मैदान में मुर्गे लड़ाए जाने की पुष्टि की, लेकिन सट्टेबाजी का मामला गोल कर दिया। साथ ही बताया कि पुलिस पहुंचने तक बदमाश लोग गाडि़यां छोड़ भागे। एेसे में पुलिस ने मौके से मिले ८ वाहन और ६ मुर्गे किसी आपराधिक संंदिग्ध हालात में मानते हुए सीआरपीसी की धारा

१०२ के तहत जब्त करने की कार्रवाई की।

मिलीभगत का संदेह

पुलिस की दबीश के बाद रात तक प्रकरण में पुलिस के मौन से संदेह गहरा गया। इस बीच, मौके से भागे आरोपियों को रिकार्ड पर नहीं लेने और गाडि़यां छुड़ाने के लिए प्रयास भी हुए। यह तथ्य शाम को मौके पर जिला मुख्यालय से एक महिला पुलिसकर्मी के सादे वस्त्रों में पहुंचकर धमकाने की गतिविधि से सामने आया। सरपंच नारायणलाल डोकी और ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस आने पर गांव के लोगों ने बगैर किसी की इजाजत के यहां मुर्गे लड़ाने और सट्टेबाजी होने की जानकारी दी।
तभी भाग चुके सटोरियों के कुछ परिजन गाडि़यां छुड़ाने के लिए आए। मौके पर जिला मुख्यालय से सादे वस्त्रों में एक महिला कांस्टेबल ने आकर हैड कांस्टेबल रणसिंह की मौजूदगी में भांजगड़ा करने की कोशिश की। यह देखकर स्थानीय लोग आक्रोश में आ गए तो महिला कांस्टेबल ने एक ग्रामीण को यह कहकर धमकाया कि थप्पड़ मार दूंगी। सरपंच डोकी ने बताया कि तनातनी बढऩे पर उन्होंने हस्तक्षेप कर जगपुरा चौकी के पुलिसकर्मियों को माहौल खराब नहीं होने देने की अपील की। फिर जनाक्रोश को देखकर महिला कांस्टेबल भी शांत होकर लौट गई।