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Video – बांसवाड़ा : बच्चों के कंठ से गूंज रहे वेदों के श्लोक

वैदिक संस्कृति से जुड़ाव, बांसवाड़ा शहर के त्र्यम्बकेश्वर मंदिर में बच्चे नियमित तौर पर कर रहे हैं वेदों का ज्ञानार्जन

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Ashish Bajpai

Oct 25, 2016

Banswara: Children are learning verses of Vedas

Banswara: Children are learning verses of Vedas

ऊं हिरण्यवर्णा हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम, चंद्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह..। समवेत स्वर में श्रीसुक्त ऋग्वेद के मंत्रों की गूंज। इन मंत्रों को कंठस्थ करते 8 से 15 वर्ष के बीसियों बच्चे। इसके अलावा कभी दुर्गा सप्तशती तो कभी अन्य वेदोक्त मंत्रों के साथ घंटों अभ्यास..। वैदिक संस्कृति से जुड़े बच्चों का यह रूप यहां जिला मुख्यालय पर देखा जा सकता है।

मौजूदा दौर में बच्चों से लेकर बड़ों में जहां मोबाइल संस्कृति का वायरस लगा हुआ है, वहीं ये बच्चे प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो घंटे शुक्ल यजुर्वेद संहिता के अभ्यास में लगे हुए हैं। इसके लिए माध्यम राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से 2005 से स्थापित दिव्य श्रीमन नारायण वैदिक ज्योतिष शिक्षण संस्थान बना है।

त्रयम्बकेश्वर महादेव मंदिर में वैदिक संस्कृति की पाठशाला मेंआसन बिछता है तो न केवल ब्राह्मण बल्कि अन्य वर्गों के बच्चे भी इसमें जुड़ते हैं। इनमें शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी व निजी विद्यालयों में अध्ययनरत 24 से अधिक विद्यार्थी नियमित शामिल हो रहे हैं। पंडित जयनारायण पंड्या बच्चों को मंत्रों के संरक्षण की विधि के साथ ही दुर्गा सप्तशती, श्रीसुक्त, शुक्ल यजुर्वेद संहिता, यज्ञ विधि की जानकारियों में दक्ष करने में जुटे हैं। कई बच्चे पांच वर्ष का पाठ्यक्रम भी पूरा कर रहे हैं।

कई बच्चों को अध्याय कंठस्थ

पाठशाला में कई बच्चे गुरु परम्परास्त्रोत के तहत 'नारायणं पद्यभवं वशिष्ठ शक्तिं च तत्पुत्र पराशरं च.... ' के साथ उच्चारण शुरू करते हैं तो सुनने वाला भी इसमें तल्लीन हो जाता है। यहां दस वर्ष का चौथी कक्षा में अध्ययनरत ग्रंथ जोशी आद्य गुरु शंकराचार्य के वर्णन के श्लोक-मंत्र कंठस्थ उच्चारित करता है।

छठी के इशान पंड्या को श्रीसुक्त वहीं आठवीं के प्रथमेश, दसवीं में अध्ययनरत हार्दिक जोशी आदि को शुक्ल यजुर्वेद के कई श्लोक कंठस्थ है। बच्चों ने बताया कि विद्यालयी शिक्षा के साथ-साथ वैदिक शिक्षा में रुचि होने से नियमित यहां आते हैं। इसका अभ्यास घर में पूजा-पाठ के दौरान भी कर रहे हैं।

सरकार स्तर से दिया जाए ध्यान

वैदिक शिक्षा विश्व की धरोहर है। प्राणियों के जीने का संविधान इसमें है। सरकार को इस पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही इसको बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए। इसके लिए हमारे स्तर पर भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

पंडित जयनारायण पंड्या, प्रदेश महासचिव राजस्थान वेदोद्यापन संघ।

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