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Rajasthan News : निदेशालय का तत्काल कार्यमुक्त करने का फरमान, शिक्षकों में मची खलबली

Rajasthan News : प्रारंभिक शिक्षा विभाग में कामकाजी और शिक्षण व्यवस्था के नाम पर या जुबानी आदेशों से अन्यत्र लगाए शिक्षकों को तत्काल मूल पदस्थापन स्थल के लिए कार्यमुक्त करने के फरमान से खलबली मची हुई है।

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Banswara Directorate Order Duty immediate Release Rajasthan Teachers Created Panic

फाइल फोटो

Rajasthan News : प्रारंभिक शिक्षा विभाग में कामकाजी और शिक्षण व्यवस्था के नाम पर या जुबानी आदेशों से अन्यत्र लगाए शिक्षकों को तत्काल मूल पदस्थापन स्थल के लिए कार्यमुक्त करने के फरमान से खलबली मची हुई है। दरअसल, जिले के अधिकांश ब्लॉक और विभागीय कार्यालयों में व्यवस्था के नाम पर शिक्षक लगे हुए हैं। इनमें कई ऐसे हैं, जिन्हें CDEO स्तर लगाने से ब्लॉक के अधिकारियों को पता ही नहीं है। ऐसे में निदेशालय की ओर से बाकायदा सभी सीबीईओ-पीईईओ से प्रमाण पत्र मांगे जाने से उहापोह की स्थिति बन रही है।

निदेशालय ने यह जताई मंशा

प्रारभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट के आदेश के अनुसार 25 दिसबर, 2023 से पहले कार्य व्यवस्था-शिक्षण व्यवस्था या मौखिक आदेशों से लगे अध्यापकों को कार्यमुक्त करना होगा। सरकार के 15 नवंबर के नए आदेश पर इस संबंध में निदेशालय की ओर से पूर्व में 8 फरवरी और 1 जुलाई को भेजे पत्रों का उल्लेख कर सभी सीडीईओ को स्पष्ट किया गया कि जिन अध्यापकों को अब तक कार्यमुक्त नहीं किया गया है। उनको अविलंब मूल पदस्थापन स्थान के लिए रवाना कर कार्यमुक्ति आदेश की प्रति और ऐसे शिक्षकों की सूची 3 दिसंबर तक तक उपलब्ध कराएं।

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यहां यह भी पेंच

इसके साथ सीबीईओ और पीईईओ यूसीईओ से प्रमाण-पत्र लिया जाएगा कि सूची के अलावा कोई भी अध्यापक कार्य व्यवस्था या शिक्षण व्यवस्था के आदेश के तहत लगा हुआ नहीं है। इसके बाद विभाग, किसी स्कूल या कार्यालय में 25 दिसंबर, 2003 के पूर्व से कोई अध्यापक लगे पाए जाने पर संबंधित नियंत्रण अधिकारी के खिलाफ राजस्थान असैनिक सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण एव अपील) नियम 1958 के नियम 17 के तहत कार्रवाई की जाएगी। अब दिक्कत यह कि फिर जिले के विभिन्न ब्लॉक के रिमोट एरिया में ही सौ से डेढ़ सौ स्कूलें प्राथमिक-उच्च प्राथमिक स्तर की हैं। फिर औसतन हर ब्लॉक में 40 पीईईओ हैं ही। इनमें जिलास्तर से जारी आदेशों से कई शिक्षक लगे हैं, जिनकी जानकारी सीबीईओ को नहीं दी जाती। अब इतने स्कूलों में व्यक्तिश: जानकारी संभव भी नहीं है, तो प्रमाण पत्र देने के बाद यदि शिक्षक रह गए, तो गाज सीबीईओ पर गिरना तय है।

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