
बांसवाड़ा. दादा-नाना की जुबानी सुना करते थे कि उनकी बारात बैलगाड़ी से गई थी और ससुराल पहुंचने में कई दिन का सफर तय किया था। वर्तमान समय में भी कोई आपसे यह कहे कि किसी की बारात बैलगाड़ी और ऊंटगाड़ी में जाएगी तो आप विश्वास नहीं करेंगे, लेकिन कई साल पुरानी परम्परा को फिर से जीवंत बनाने के उद्देश्य से कलिंजरा निवासी राहुल सोनी रविवार को ब्याह रचाने बैलगाड़ी में बैठकर गए। और इस दौरान बारात का नजारा कुछ ऐसा देखने को मिला कि लोगों के मुंह से सिर्फ यही निकला वह क्या बात है।
बारात बनी आकर्षण का केंद्र
कई वर्षों बाद ऐसी परम्परा को देख इस प्रकार की बारात को लोगों के लिए कौतूहल का विषय बनी रही। बारात जिस गांव, जिस मोहल्ले से निकली लोग बारात को आश्चर्य से देखते रहे। बैलगाड़ी, ऊंट गाड़ी से निकली बारात ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया।
प्रदूषण रोकने की कवायद
दूल्हे के पिता हरीश सोनी ने बताया कि दो करणों से बारात में आधुनिक वाहनों का उपयोग नहीं किया गया है। पहली तो पूर्व में अपने देश में बारात बैलगाडिय़ों, घोड़ा गाडिय़ों पर निकाली जाती हैं। जो प्रथा अब बंद हो चुकी है। और दूसरी वाहनों के उपयोग से प्रदूषण फैलता है। इसलिए ही मैंने यह निर्णय लिया कि बेटे की शादी में वाहनों का उपयोग नहीं करेंगे। ताकि परंपरा को जींवत किया जा सके और बढ़ रहे प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरुक किया जा सके। परिजनों के अनुसार यह नवाचार युवाओं में प्रदूषण रोकने एवं विलुप्त परम्परा को फिर से जीवित करना है। परिजनों के अनुसार बारात सुबह साढ़े आठ बजे निकली एवं नगर भ्रमण के बाद पहला पड़ाव क्षत्रिय घाटी पर हुआ। जहां सुबह का नाश्ता करने के बाद कुछ दूरी पर स्थित राखो गांव में भोजन के लिए रुकी। यहां कुछ समय विश्राम करने के बाद बारात कुछ देर के लिए इटेश्वर महादेव रुकने के बाद बागीदौरा के लिए रवाना हुई। जहां विवाह की रस्म की अदायगी होगी।
स्वच्छता का भी देंगे संदेश
कलिंजरा सदर बाजार निवासी हरीश सोनी ने पुत्र की शादी में शामिल होने आए बारातियों को बागीदौरा तक ले जाने के लिए न केवल 20 बैलगाड़ी, वरन 15 ऊंटगाड़ी, छह घोड़ागाड़ी, एक बग्गी, 10 ऑटो सहित एक मिनी ट्रक शामिल होगा। बारात के साथ स्वच्छ भारत मिशन का बैनर लगा होगा, जिसमें स्वच्छता का संदेश लिखा हुआ है।

Published on:
18 Feb 2018 01:47 pm
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