
बांसवाड़ा. महात्मा गांधी चिकिसालय में एक बार फि र मानवता तार तार हो गई। नवप्रसूता और नवजात दो घण्टे से अधिक समय तक एमसीएच विंग के बाहर बैठे रहे, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। चिकित्सकों के हड़ताल पर होने का हवाला देकर नर्सिंग कार्मिक उनको भर्ती करने से इनकार करते रहे। इस कारण दोनों को विंग के बरामदे में ठंडे फ र्श पर करीब दो घंटे तक सोने को मजबूर होना पड़ा।
इसके बाद मीडियाकर्मी पहुंचे तब कार्मिक हरकत में आए और जच्चा-बच्चा को विंग के अंदर ले जाकर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की। गौरतलब है कि बांसवाड़ा का महात्मा गांधी अस्पताल पिछले दिनों कई नवजातों की मौत के मामले में सुर्खियों में था। उसके बाद भी ऐसे हालात देखकर तो यही कहा जा सकता है कि इतने नवजातों की मौत के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने सबक नहीं लिया है।
नहीं की किसी ने परवाह
घाटोल क्षेत्र निवासी मीरा का प्रसव शुक्रवार सुबह घाटोल सीएचसी पर हुआ था। चिकित्सकों ने मां और नवजात में खून की कमी बता कर एमजी चिकित्सालय के लिए रैफ र कर दिया। दोनों को 108 एम्बुलेंस से चिकिसालय लाया गया, लेकिन नर्सिंग स्टाफ ने यह कह कर उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया कि कोई चिकित्सक नहीं है।
इस दौरान मां और नवजात विंग के बाहर ही बैठे रहे जिनकी सार संभाल परिजन कर रहे थे। एम्बुलेंस के साथ आए ईएमटी दिनेश ने बताया कि वह भर्ती के लिए गुहार लगता रहा, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। दूसरी ओर नर्सिंग स्टाफ का कहना था कि वह ऊपर आया ही नहीं और अनावश्यक विवाद कर रहा है।
संक्रमण और सर्द हवा का डर
गौरतलब है कि शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत प्रसव के साथ-साथ कमजोर नवजात बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए एफबीएनसी वार्ड में कम से कम 48 घंटे रखने की अनिवार्यता के बावजूद आए दिन ऐसे हालात देखने को मिल रहे हैं। बच्चों के साथ हो रहे खिलवाड़ से सारी योजनाओं को पलीता लग रहा है और मृत्यु दर कम नहीं हो पा रही है।
Published on:
23 Dec 2017 09:34 pm
बड़ी खबरें
View Allबांसवाड़ा
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
