
राजस्थान का रण : बांसवाड़ा के घाटोल विधानसभा क्षेत्र में हाइवे की चकाचक सडक़ पर रह रह कर उठता रुदन
सुधीर भटनागर/विनोद नायक. बांसवाड़ा. जिले का घाटोल विधानसभा क्षेत्र। राजनीतिक मायनों में यह क्षेत्र दो जिलों से संबंध रखता है, इस विधानसभा क्षेत्र में प्रतापगढ़ जिले की पीपलखूंट क्षेत्र की कुछ पंचायतें भी आती है। चुनावी मौसम में हमने भी क्षेत्र का सफर तय किया। बांसवाड़ा से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 113 पर घाटोल तक का 28 किमी तक का सफर सडक़ बढिय़ा होने से आरामदायक रहा, लेकिन घाटोल के पोस्ट ऑफिस चौराहा पर कदम रखते ही मंजर बदल गया। बड़े ट्रेलर, डम्पर और ट्रकों की आवाजाही के बीच सडक़ पार करते लोग नजर आए। जाम से निकलकर लोगों तक पहुंचे। लोगों से बातें छिड़ी तो सरकार के अच्छे-बुरे कामों का चि_ा रख दिया। लोगों ने सरकार की योजनाओं की तारीफ की तो कुछ ने खस्ताहाल सडक़, नहरों, सरकारी प्रक्रियाओं में परेशानी को लेकर मायूसी जताई। यहां हाइवे के संकट को लेकर बस स्टेण्ड पर पान विक्रेता की दुकान पर खड़े पड़ौली गोर्धन के बुजुर्ग देवेन्द्र चौबीसा से बात छेड़ते ही दर्द उनकी जुबां पर आ गया। बोले हाइवे की समस्या बहुत बड़ी है। व्यापारी संजय बोला उपखण्ड मुख्यालय होने के बावजूुद हाल बुरे हंै। आए दिन यहां हादसे होते हैं। सडक़ों पर वाहन, फुटपाथ पर ठेला, गाडिय़ों का जमावड़ा तो राहगीर कहां से गुजरें। कुछ अन्य लोगों ने बताया कि बाइपास निकलवाने के लिए लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं। किराणा व्यापारी लक्ष्मण कलाल से मुलाकात हुई। चुनाव को लेकर बोले कि जनता को विकास चाहिए। सामने की ओर इशारा करते हुए कहा नाली-सडक़ों की हालत देख ही रहे हैं। पीपलखूंट का रास्ता पकड़ा। खमेरा के बस स्टेण्ड पर उदाजी का गढ़ा के नारायण बुनकर ने कहा कि मनरेगा के काम बंद हो गए अब मजदूरी भी उतनी नहीं मिल रही है। दिनेश बुनकर ने कहा सरकार कोई भी आए और जाए। असल में गरीब जनता और किसान तो आज भी खुद के बल पर ही जी रहे हैं। दुकान पर मिली सुगना देवी बोली सरकार ने काम किया है तो वोट देंगे। इसके बाद खस्ताहाल सडक़ों से खैरवा होते हुए वाडग़ुन की ओर निकले। यहां बस स्टेण्ड पर धूलजी भाई दो चार लोग और लोगों के साथ खड़े थे और चुनावी चर्चा चल रही थी। बोले क्षेत्र में पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। हर मामूली काम के लिए फोटो कॉपी एवं कागजों का रोड़ा होने से परेशान हैं।
विभाजन का दर्द
पीपलखूंट पहुंचे तो लोगों का दो जिलों में बंटे होने का दर्द फूट पड़ा। पीपलखंूट की 22 पंचायतें घाटोल विधानसभा में हैं। विधानसभा व लोकसभा के वोट इसी में पड़ते हैं लेकिन पंचायतराज की वोटिंग में प्रतापगढ़ से नाता होता है। सरकारी और प्रशासनिक काम भी प्रतापगढ़ में। वोट घाटोल वालों को दो और काम प्रतापगढ़ वाले करें। किराणा दुकान व्यापारी सुभाष ने दो टूक कहा फुटबाल बना रखा है। प्रतापगढ़ वाले घाटोल और घाटोल वाले प्रतापगढ़ भेजते हैं। विधानसभा तो घाटोल है और जिला बांसवाड़ा है ऐसे में यहां सही तरीके से विकास नहीं हो पाया है। क्षेत्र में नहरें नहीं हैं। आवागमन के साधन की सुुविधा नहीं होने से लोग परेशान होना होते है। उपखण्ड मुख्यालय होने के सरकारी कॉलेज नहीं है। गोपाल निनामा ने कहा कि सडक़ों के हालात खस्ताहाल कोई सुनने के लिए नहीं आता है। वोट के समय हम 22 पंचायत के लोग नेताओं को याद आते हैं। यहां से कानड़ा होते हुए बोरपीखांटा पहुंचे जहंा लसिया भाई सहित कुछ लोग खड़े थे। चुनाव की चर्चा की तो कहा कि अभी सभी लोग खेतीबाड़ी मे व्यस्त है। चुनाव के दिन वोट दे आएंगे। नरवाली में शंकर, थावरा, कानिया एवं कुछ लोग चाय की थड़ी पर बस के आने का इंतजार कर रहे थे। बात करने पर बताया कि गांवों में कई घरों में बिजली आज भी नहीं पहुंची और न ही नहरों का पानी मिल रहा है। जगपुरा में नानका भाई, कालिया भाई, रामाभाई, मानशंकर सहित कुछ लोग खड़े थे। उन्होंने कहा कि सरकार ने काम बहुत कराए, लेकिन काम से गांवों को लोगों को लाभ नहीं मिला है। मोटागांव मेंं देवीलाल भोई बोले कस्बे में ही सडक़ गुजरने से रोज जाम लगता है। बड़ा कस्बा होने के बावजूद यहां हॉस्पीटल नहीं होने से लोग नीम हकीमों पर निर्भर हैं। रुख गनोड़ा की तरफ किया। काम में व्यस्त गौतम भाई ने गनोड़ा को पंचायत समिति न बनाने का दर्द बयां किया। दिनभर दो जिलों में बंटी घाटोल विधानसभा क्षेत्र में भ्रमण पर कई तरह की बातें सामने आई।
ये हैं मुद्दे
घाटोल में बाइपास की जरूरत
गनोड़ा को पंचायत समिति बनाया जाए
पीपलखूंट सहित कई बड़े क्षेत्र आज भी माही की नहरों से वंचित हैं। ऐसे में नहरों का विस्तार हो
घाटोल मेंं नगरपालिका प्रमुख आवश्यकता है ताकि समुचित विकास हो सके।
घाटोल एवं गनोड़ा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्दों में डाक्टरो के रिक्त पद भरे जाएं
घाटोल उपखंड मुख्यालय पर सरकारी कॉलेज खुले
Published on:
29 Oct 2018 01:36 pm
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