scriptHuman Angle Story Of Banswara's Family Two Daughters Died In 15 Days | टूटा दुखों का पहाड़, 15 दिन में 2 बेटियों की मौत, नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ | Patrika News

टूटा दुखों का पहाड़, 15 दिन में 2 बेटियों की मौत, नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

locationबांसवाड़ाPublished: Jul 16, 2023 12:25:05 pm

Submitted by:

Akshita Deora

बांसवाड़ा के गनोड़ा कस्बे में पांच बेटियों में से एक बेटी की 8 साल पहलेे मौत और अब करीब पन्द्रह दिन में ही दो बेटियां भी एक-एक कर चल बसीं, पति बीमार है और दो बेटियों में से भी एक दिव्यांग है।

human_angle.jpg

बांसवाड़ा के गनोड़ा कस्बे में पांच बेटियों में से एक बेटी की 8 साल पहलेे मौत और अब करीब पन्द्रह दिन में ही दो बेटियां भी एक-एक कर चल बसीं, पति बीमार है और दो बेटियों में से भी एक दिव्यांग है। इसके बावजूद सरकारी योजनाओं से वंचित। न बीमार बेटियों के उपचार में कोई सरकारी मदद मिली और न ही दिव्यांग बेटी को सरकारी योजना से जोड़ा गया है।

अमरसिहं का गड़ा ग्राम पंचायत के धाणी लांबा पीपल गांव निवासी राधा-नानू के परिवार पर दुखों का यह पहाड़ टूटा है। पूरा परिवार उजडता जा रहा है। करीब 22 साल पूर्व राधा यादव कि शादी अमरसिहं का गड़ा ग्राम पंचायत के धाणी लांबा पीपल गांव निवासी नानू यादव से हुई। राधा ने पांच बे रोनिका, मनीषा, माया, तन्वी एवं गुंजन को जन्म दिया। बड़ी बेटी रोनिका की करीब 8 साल पहले एक्सीडेंट में मौत हो गई। कुछ समय बाद राधा का पति नानु यादव भी बीमारी से ग्रसित होने से कामकाज करने अक्षम हो गया। दूसरी बेटी मनीषा की दोनों किड़नी खराब हो गई, जिस पर राधा ने दिहाडी मजदूरी और खेत एवं आभूषण गिरवी रखकर चार साल तक उपचार करवाया। पर, गत 13 जुलाई को मनीषा ने दम तोड़ दिया। तीसरी बेटी 14 वर्षीय माया भी तीन साल की उम्र तक ठीक थी और इसके बाद हाथ-पैंरों ने काम करना बंद कर दिया एवं अपंग हो गई। करीब दस साल तक माया की राधा ने खांट पर ही सेवा की। वह भी इसी माह के पहले सप्ताह में चल बसी। पन्द्रह दिन में दो बेटियों की मौत से राधा व नानू टूट चुके हैं।

यह भी पढ़ें

लाखों उपभोक्ताओं को अब निकट ही मिलेगा राशन, आवेदन की लास्ट डेट बढ़ाई




तन्वी भी दिव्यांग, योजनाओं से वंचित
राधा के अब दो बेटियां हैं, जिसमें तन्वी कि उम्र करीब 8 साल है जो दिव्यांग है। सबसे छोटी बेटी गुंजन की उम्र 5 साल है। दिव्यांग तन्वी को अब तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। परिजनों ने बताया कि तन्वी का खाता नहीं होने से पेंशन के लिए आवेदन नहीं किया है। अभी कुछ दिन पहले ही लोगों एवं बैंक कार्मिकों कि मदद से तन्वी का खाता खुला है।
यह भी पढ़ें

जनाना अस्पताल में प्रसूता की मौत, पति पकड़ता रहा डॉक्टर के पैर लेकिन नहीं हुआ इलाज



भामाशाहों ने बढाए हाथ
दोनों बेटियों कि मौत के बाद परिवार कि आर्थिक स्थित को देखते हुए कालिका पाडा निवासी नारायणलाल एवं सुखवाड़ा निवासी विश्वम्बर मेघवाल सहित युवाओं ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई। इसके चौदह घंटों में करीब एक लाख रुपए कि राशि एकत्रित हो गई। सपना फांउडेशन के सदस्य विश्वम्बर मेघवाल ने बताया कि किडनी खराब होने की जानकारी पर कई माह से सपना फाउंडेशन से ब्लड उपलब्ध करवाया जा रहा था।

Copyright © 2023 Patrika Group. All Rights Reserved.