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Mahi Dam: छलकने से बस इतना दूर माही बांध, जल्द मिलेगी बड़ी खुशखबरी

Rajasthan Dam News: यदि बांध के गेट खुलते हैं तो यह 40 साल में 26वां अवसर होगा। वर्ष 1984 में डेम से पहली बार जलप्रवाह किया गया था।

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माही बांध का जलस्तर 279.50 मीटर पहुंच चुका है। करीब 2 मीटर पानी की और आवक के साथ ही गेट खुलने की उम्मीद है। यदि बांध के गेट खुलते हैं तो यह 40 साल में 26वां अवसर होगा। वर्ष 1984 में डेम से पहली बार जलप्रवाह किया गया था। डेम के सभी 16 गेट वर्ष 2006 में खोले गए थे। अभी तक 8 बार डेम के गेट अगस्त माह में खोले गए हैं। जबकि अक्टूबर माह में 6 बार ऐसा किया गया।

वहीं, सबसे अधिक सितंबर माह में 11 बार गेट खोले गए हैं। अब फिर से 12वीं बार सितंबर माह में गेट खोलने की तैयारी है। गत वर्ष 16 सितंबर को डेम के गेट खोले गए थे। वहीं 2022 में भी सितंबर माह में ही गेट खोले गए। जबकि साल 2021 में 21 सितंबर को डेम के गेट खोले गए थे। इससे पहले साल 2020 में 23 अगस्त को डेम के गेट खोले गए थे।

साल 1991 में 1 अगस्त से 5 सितंबर तक डेम के गेट खुले थे। इसके बाद 1994 में 24 सितंबर तक, 1996 में 22 सितंबर तक, 1998 में 3 सितंबर तक, 2012 में 17 सितंबर तक, 2014 में 17 सितंबर तक, 2017 में 22 सितबर तक और 2020 में 28 सितबर तक माही डेम के गेट खुले थे।

हमारी सभी तैयारियां पूरी

जरूरत होगी डेम के गेट खोले जाएंगे। इसके लिए विभाग की ओर से सभी प्रकार की तैयारियां कर ली गई हैं। किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आएगी।- पीसी रैगर, एक्सईएन, माही बांध परियोजना, खंड प्रथम

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गेट खोलने के भी कुछ फायदे

माही बांध पूरा भरने के बाद लगतार है तो पीछे से आने वाले पानी की निकासी की जाती है। सीजन में 77 टीएमसी पानी रखते ही हैं। डेम से निकाले जाने वाले पानी को पूरी तरह व्यर्थ नहीं कह सकते हैं। कहीं ना कहीं उपयोग में आता ही है। जैसे कहीं छोटे चैक डेम या फिर पशु पक्षियों या फिर अन्य उपयोग हैं।- धीरज जौहरी, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, माही विभाग

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करीब 1400 टीएमसी पानी बह गया

विभागीय सूत्रों के अनुसार वर्ष 2021 तक डेम से 1281 टीएमसी पानी व्यर्थ बहाया जा चुका था। इसके बाद भी भी वर्ष 22-23 में डेम के गेट खोलकर निकासी की गई। माही विभाग मानता है कि जब भी डेम गेट खोले गए उस साल 54 टीएमसी पानी बहाया गया। जबकि, गत वर्ष डेम के बराबर या इससे भी अधिक पानी बहाया गया था। वहीं वर्ष अब तक करीब 600 टीएमसी पानी का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जा चुका है।

सूखी रह गई थी माही की धरा

बांसवाड़ा की धरा को सरसब्ज करने वाली माही नदी का पेटा कई बार सूखा भी रह गया है। इसमें वर्ष 1999 से 2002 और 2008 से 2011 के बीच पानी की आवक कम रही। जबकि 1985, 1987, 1989, 1992, 1995, 2005 और 2018 में भी डेम 77 टीएमसी से काफी पानी कम रह गया।

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