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अंधविश्वास की आग में जल रही मासूम जिंदगियां, फिर एक बच्चे को इलाज के नाम पर गरम सलाखों से दागा

अंधविश्वास के चलते आज भी मासूम बच्चों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ किया जाता है।  

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sick child stained with hot bars in Banswara

sick child stained with hot bars in Banswara

बांसवाड़ा. अंधविश्वास की आग में जल रहे प्रदेश में मासूम जिंदगियां आज भी जल रही हैं। बीमार बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल के चक्कर काटने चाहिए, लेकिन उनके मां बाप आज भी भोपों के फेर में हैं। ऐसे ही एक भोपे के चक्कर में आकर एक और मासूम की जान खतरे में पड़ गई है। जिले के गनोड़ा क्षेत्र के आसोड़ा गांव के एक साल के बच्चे को मिर्गी के उपचार के नाम पर भोपों ने पेट पर तीन जगह गर्म लोहे के सरिये से दाग दिया, लेकिन उसकी तबीयत ठीक होने की बजाए ज्यादा बिगड़ गई। उसे तेज बुखार ने भी जकड़ लिया। बच्चे को एमजी अस्पताल लाने के बाद हालत गंभीर देखते हुए चिकित्सकों ने उदयपुर रैफर कर दिया है।


आपको बता दें कि एक वर्षीय आकाश पुत्र पिन्टू गिर्मी की बीमारी से पीडि़त था। उपचार के लिए परिजन उसे भोपे के पास ले गए, जहां भोपे ने उपचार के नाम पर उसके पेट को गर्म सलाखों से तीन स्थानों पर दाग [डाम लगाना] दिया। इसके बाद भी स्वास्थ्य ठीक न होने पर परिजन बच्चे को लेकर गनोड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां से उसे महात्मा गांधी अस्पताल रैफर कर दिया गया। रात करीब आठ बजे बच्चे को परिजन एमजी अस्पताल लाए, जहां उसे ऑक्सीजन पर रखा गया। इसके बाद हालत गंभीर देख रात ग्यारह बजे उदयपुर रैफर कर दिया गया।परिजन बच्चे को लेकर उदयपुर पहुंचे।

डाम के कारण हो सकता है बुखार
चिकित्सकों ने बताया कि प्रबल संभवना यही है कि बच्चे को डाम दिया गया हो, जिसकी वजह से उसके बुखार की समस्या हुई हो। छोटे बच्चे को डाम देना मतलब उसके स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना है। डाम देना कोई उपचार नहीं है।

परिजनों का कहना है
परिजनों ने बताया कि बच्चे की सुबह से सांसें तेज चल रही थीं। इस कारण उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। बच्चे के पेट में डाम के बारे में पूछने पर उन्होंने स्पष्ट जवाब नहीं दिया।