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बांसवाड़ा की सभा में पहुंचना था, गलती से डूंगरपुर में उतर गया था विमान, तब वाजपेयी ने खाट पर बैठकर की थी चर्चा

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बांसवाड़ा की सभा में पहुंचना था, गलती से डूंगरपुर में उतर गया था विमान, तब वाजपेयी ने खाट पर बैठकर की थी चर्चा

बांसवाड़ा. डूंगरपुर. 1996 में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार चल रहा था। 11 अप्रेल 1996 को उनकी दोपहर एक बजे बांसवाड़ा में सभा थी। इसके बाद शाम चार बजे डूंगरपुर के लक्ष्मण मैदान में सभा होनी थी। भाजपा नेता सुरेश फलौजिया ने बताया कि वाजपेयी को 4 बजे दोवड़ा हवाई पट्टी पहुंचना था, इसलिए सुबह वहां कोई खास तैयारियां नहीं थी। लेकिन उनका विमान गलती से पहले डूंगरपुर उतर गया। अंदर से वाजपेयी बाहर आए। उन्हें देखते ही सभी हतप्रभ रह गए। वहां कोई व्यवस्था नहीं थी। आनन फानन में नजदीक के मकान से खाट लाकर उन्हें बिठाया। पुलिसकर्मियों ने वायरलैस से जिला मुख्यालय को सूचित किया। भाजपा पदाधिकारियों के आने तक करीब आधा घंटा वाजपेयी ने खाट पर बैठकर क्षेत्र के बारे में चर्चा की।

अपराह्न करीब 3 बजे वाजपेयी डूंगरपुर आ गए, जबकि सभा चार बजे होनी थी। मैदान में लोग नहीं पहुंचे थे। इसलिए सर्किट हाउस में भाजपा के वयोवृद्ध नेता केवलजी भाई नागदा सहित अन्य के साथ चर्चा की। आनन फानन में भोजन की व्यवस्था कराई गई तथा उन्होंने सभी के साथ खाना खाया। शाम चार बजे लक्ष्मण मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित किया। बांसवाड़ा के भुवन पंड्या बताते हैं कि विमान के डूंगरपुर चले जाने पर कुशलबाग विद्यालय में कक्षा छठी में अध्ययनरत उनकी बेटी शालिनी ने दस मिनट तक भाषण दिया। मंच पर मौजूद गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि शालिनी ने जो विषय रखा, वहीं विषय लेकर अटल जी चुनावी सभा ले रहे हैं। कटारिया ने शालिनी को मिनी अटल बताया और मैदान में मौजूद करीब आठ हजार लोग शांति से प्रस्थान कर गए।

बोले अटल- त्रिपुरा नहीं यह तो त्रिपुर सुंदरी होना चाहिए
बांसवाड़ा. अटल बिहारी वाजपेयी ने बांसवाड़ा की यात्रा के दौरान त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन भी किए। उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे भानुकुमार शास्त्री, उमेश पटियात, पूर्व नपाध्यक्ष मणिलाल बोहरा, पूर्व जिलाध्यक्ष ओम पालीवाल, निर्मल दोसी आदि रहे। पालीवाल ने बताया कि जब वाजपेयी त्रिपुरा सुंदरी पहुंचे तो वहां सरेड़ी बड़ी के ब्राह्मण पूजन कर रहे थे। उन्होंने मंदिर पर त्रिपुरा सुंदरी लिखा देखा तो कहा कि मूल रूप से यह त्रिपुर सुंदरी होना चाहिए। अपभ्रंश के कारण यह त्रिपुरा हो गया है। उन्होंने कहा कि 1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें बांसवाड़ा को रेल से जोडऩे की मांग से अवगत कराया तो उन्होंने कहा था कि यहां से भाजपा का सांसद बनाओ, रेल भी मिल जाएगी।


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