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एम्बुलेंस बेपटरी, खतरे में ‘मांं’

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रोकने की दिशा में प्रयास होते आ रहे हैं, अरसे पहले से जननी शिशु एक्सप्रेस एम्बुलेंसों का संचालन भी शुरू हुआ, 108 एम्बुलेंस सेवा पहले से संचालित हैं।

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Shailendra Tiwari

Jun 11, 2016

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रोकने की दिशा में प्रयास होते आ रहे हैं, अरसे पहले से जननी शिशु एक्सप्रेस एम्बुलेंसों का संचालन भी शुरू हुआ, 108 एम्बुलेंस सेवा पहले से संचालित हैं, बावजूद इसके कई बार ऐसे वाहनों की उपलब्धता नहीं होने या आए दिन खराब होने से गर्भवतियों, प्रसूताओं की जान पर बन आती है। जिले में आवश्यकता के बावजूद कई प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अभी तक 104 व 108 एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं है।

कुछ जगह 104 वाहन के नाम पर उपलब्ध वैन दूरस्थ इलाके के गांवों तक नहीं पहुंच रही, ऐसे में प्रसूताओं को काफी दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। रेलावन की 104 एम्बुलेंस आए दिन हांफ रही है।

अभी यहां हो रहा संचालन

जिले में अभी 18 प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 104 जननी एक्सप्रेस एम्बुलेंस का संचालन किया जा रहा है। इन केन्द्रों में मिर्जापुर, मोठपुर, कोयला, आटोन, रेलावन, समरानियां, कस्बाथाना, जैपला, पाली, सारथल, केलवाड़ा, छबड़ा, मांगरोल, अन्ता, छीपाबड़ौद, हरनावदाशाहजी, किशनगंज व अटरू में संचालन हो रहा है। इसके अलावा 15 केन्द्रों पर 108 एम्बुलेंस का संचालन हो रहा है।

ऐसे आती है दिक्कत

108 रोगी वाहनों में से कई में आवश्यक उपकरणों का टोटा रहता है। पूर्व में कई बार ये एम्बुलेंस रास्ते में खराब हुई। पिछले साल किशनगंज की 108 कई दिनों तक खड़ी रही। पिछले साल ही एक 108 बारां आते-आते रास्ते में बंद हो गई, फिर दूसरी बुलानी पड़ी थी।

इनका कहना है

चिकित्सा विभाग के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार रेलावन के 104 वाहन को पुख्ता रूप से ठीक कराने को बोला गया है। उपलब्धता होते ही यहां वाहन बदला जाएगा। रायथल, सीसवाली व बमोरीकलां आदि के लिए भी 104 की मांग की जाएगी।

कई क्षेत्र वंचित

जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत पूर्व में जिले में 10 वाहन थे। 2014 में 8 और 104 एम्बुलेंस मिली थी, इन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भेजा गया। पूर्व में 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर संचालन हो रहा था। जरूरत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ही ज्यादा थी।

देवरी-शाहाबाद जैसे स्वास्थ्य केन्द्र अब तक इस सुविधा से वंचित हैं। इसके अलावा रायथल-सीसवाली क्षेत्र भी इससे वंचित हैं। कई दूरस्थ व सीमा क्षेत्र के इलाकों में इन वाहनों की कमी खलती है। दूसरे सेंटर से कई बार वाहन यहां पहुंचने में देरी भी होती है।

यहां बार-बार होती है बंद

किशनगंज क्षेत्र के रेलावन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर 104 एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध है लेकिन यह छोटा वाहन होने के कारण दूरस्थ क्षेत्र में ऊबड़-खाबड़ मार्गों से होते हुए गांवों में नहीं पहुंच पाता। पिछले साल जुलाई में रेलावन के 104 वाहन के खराब होने के बाद बारां लाकर ठीक कराया गया था। इसके एक दिन बाद फिर खराब हो गई। फिर बारां लाया गया तो इस बार ज्यादा समय लगने पर बिना काम कराए लौटना पड़ा। बाद में ठीक कराया गया।

पिछले साल भी अक्टूबर माह में मध्य रात करीब रेलावन अस्पताल से 104 वाहन एक गर्भवती को लेने नयागांव जा रहा था। वाहन कुछ दूर ही बढ़ा था कि रास्ते ही बंद हो गया। इस पर किशनगंज की 104 को नयागांव भेजा गया। अभी तीन-चार दिन पहले भी यह हांफने लगी। इसी दौरान एक केस बारां भेजा गया तो रास्ते में धक्के लगाने पड़े।