
GST पर भाजपा-कांग्रेस में राजनीती तेज, कांग्रेसी ने कहा- महंगाई बढ़ाने के बाद घटाया जीएसटी...(photo-patrika)
Rajasthan Politics: राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की सुगबुगाहट ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। यह सीट बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की अयोग्यता के बाद खाली हुई है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने इस सीट पर कब्जे के लिए कमर कस ली है और टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त सामने आ रही है।
बीजेपी में जहां आधा दर्जन से अधिक नेता टिकट की दौड़ में हैं, वहीं कांग्रेस में भी कई चेहरों पर चर्चा जोरों पर है। इस बीच, बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष आनंद गर्ग के समर्थकों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उनके समर्थक खुलकर पार्टी नेतृत्व को चुनौती देते नजर आ रहे हैं।
दरअसल, 16 अगस्त को बारां के कोयला में हुई एक बैठक का वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। इस वीडियो में आनंद गर्ग के समर्थक दावा करते नजर आ रहे हैं कि अंता सीट के लिए उनसे बेहतर उम्मीदवार कोई नहीं हो सकता। समर्थकों का कहना है कि गर्ग के पास कोई आधिकारिक पद नहीं होने के बावजूद उनकी लोकप्रियता और जनता से जुड़ाव बरकरार है।
वहीं, एक समर्थक ने वीडियो में कहा कि पार्टी अगर किसी ‘चोर’ को टिकट देती है, तो हम उसका साथ नहीं देंगे। हम पूरी कोशिश करेंगे कि टिकट गर्ग को मिले और अगर नहीं मिला तो भी हम मैदान में उतरेंगे। यह बयान बीजेपी के भीतर अंदरूनी कलह की ओर इशारा करता है।
बता दें, यह घटना बीजेपी के लिए एक नई चुनौती बन सकती है, क्योंकि उपचुनाव से पहले एकजुटता दिखाना पार्टी के लिए जरूरी है।
बताते चलें कि अंता विधानसभा सीट बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई है। 2005 में उपसरपंच चुनाव के दौरान मीणा पर एक SDM पर पिस्तौल तानने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा था। इस मामले में उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई थी।
फिर सुप्रीम कोर्ट में उनकी अपील खारिज होने के बाद उन्होंने मनोहर थाना कोर्ट में सरेंडर किया, जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई। इस घटना के बाद अंता में उपचुनाव होने जा रहे हैं और अब दोनों प्रमुख दल इस सीट पर अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।
अंता विधानसभा सीट राजस्थान की राजनीति में पिछले दो दशकों से महत्वपूर्ण रही है। पिछले चार विधानसभा चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस ने इस सीट पर दो-दो बार जीत हासिल की है। कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया इस सीट से दो बार (2008 और 2018) विधायक चुने गए और दोनों बार मंत्री भी बने।
वहीं, बीजेपी के प्रभुलाल सैनी 2013 में इस सीट से विधायक बने और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रहे। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कंवरलाल मीणा ने प्रमोद जैन भाया को 5,000 से अधिक वोटों से हराकर इस सीट पर कब्जा किया था। हालांकि, बीजेपी के पिछले दो विधायक- प्रभुलाल सैनी और कंवरलाल मीणा स्थानीय नहीं थे, बल्कि क्रमशः टोंक और कोटा जिले से थे।
इस कारण स्थानीय कार्यकर्ता लंबे समय से स्थानीय उम्मीदवार को टिकट देने की मांग कर रहे हैं। इस बार उपचुनाव में यह मुद्दा बीजेपी के लिए अहम हो सकता है।
मालूम हो कि बीजेपी में टिकट के लिए कई दावेदार सामने आ रहे हैं। पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी को एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है, क्योंकि वे सैनी (माली) समाज से हैं, जिसका इस सीट पर बड़ा वोट बैंक है। सैनी 2013 में इस सीट से जीत चुके हैं और उनकी अनुभवी छवि पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है।
इसके अलावा, कुछ लोग यह भी कयास लगा रहे हैं कि बीजेपी कंवरलाल मीणा की पत्नी भगवती मीणा को सहानुभूति कार्ड के तौर पर मैदान में उतार सकती है। हालांकि, आनंद गर्ग जैसे स्थानीय नेताओं के समर्थक भी जोर-शोर से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। गर्ग के समर्थकों का तर्क है कि उनकी लोकप्रियता और जनता से सीधा जुड़ाव उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
वहीं, कांग्रेस के लिए प्रमोद जैन भाया इस सीट पर सबसे मजबूत चेहरा हैं। भाया ने 2003 से 2023 तक पांच विधानसभा चुनाव लड़े, जिनमें तीन बार (2003, 2008 और 2018) जीत हासिल की। उनकी अनुभवी छवि और क्षेत्र में मजबूत पकड़ उन्हें कांग्रेस की पहली पसंद बनाती है।
हालांकि, भजनलाल शर्मा सरकार में उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों के कारण उनकी पत्नी उर्मिला जैन भाया को टिकट देने की चर्चा भी चल रही है। उर्मिला को मैदान में उतारकर कांग्रेस सहानुभूति और महिला वोटरों को साधने की कोशिश कर सकती है।
अंता विधानसभा सीट पर माली समाज, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), और अनुसूचित जाति (SC) के वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। माली समाज ने हाल ही में अपनी बैठकों में इस सीट पर अपने प्रतिनिधित्व की मांग को जोर-शोर से उठाया है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इन समीकरणों को साधने की कोशिश में जुटे हैं। बीजेपी के लिए प्रभुलाल सैनी जैसे उम्मीदवार माली समाज के वोटों को एकजुट कर सकते हैं, जबकि कांग्रेस भाया के अनुभव और उनकी पकड़ का फायदा उठाने की रणनीति बना रही है।
Published on:
20 Aug 2025 06:41 pm
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