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बरामदे में दो वर्षों से संचालित कॉलेज,दो साल में लगे दो ही व्याख्याता

छबड़ा. राज्य सरकार ने यहां सरकारी कॉलेज तो खोल दिया लेकिन व्याख्याता नहीं लगाने से छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है

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राजस्थान का एक ऐसा कॉलेज जहां पढऩे की लालसा में छात्रों को खाने पड़ते हैं डंडे, करना पड़ता है हंगामा

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छबड़ा. राज्य सरकार ने यहां सरकारी कॉलेज तो खोल दिया लेकिन दो साल गुजरने के बाद भी व्याख्याता नहीं लगाने से छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वहीं यह कॉलेज हाईस्कूल के एक छोटे से बरामदे में ही संचालित हो रहा है जिसमें छात्रों के बैठने की जगह तक नहीं है अन्य सुविधाएं भी मुहैया नहंी है। राज्य सरकार ने गत दो वर्ष पूर्व यहां बीए प्रथम वर्ष से सरकारी कॉलेज खोला था जिसके लिए 160 सीटें स्वीकृत की गई थी।ं दूसरे वर्ष में द्वितीय वर्ष की स्वीकृति हुई और इस वर्र्ष नवीन सत्र में तृतीय वर्ष के भी प्रवेश कॉलेज में शुरू हो गए।
हालांकि सरकार द्वारा कॉलेज के लिए नवीन भवन की स्वीकृति के बाद यहां कॉलेज भवन बन रहा है लेकिन इस वर्ष इसका लाभ छात्रों को नही मिल पाएगा। अब तक कॉलेज में 554 छात्र-छात्राओं का नामांकन हो चुका है और 25 फीसदी सीटें और बढऩे के बाद कॉलेज में 600 छात्र छात्राएं हो जाएंगे। हालत यह है कि यह कॉलेज बिना प्रिंसीपल के ही पिछले एक वर्ष से संचालित होरहा है वहीं दो व्याख्याताओं में से एक व्याख्याता का भी तबादला करने से अब सिर्फ एक ही व्याख्याता यहां बचा है।
निर्माण की धीमी चाल
कॉलेज के नवीन भवन का निर्माण कार्य स्वपोषित कॉलेज व आदर्श विद्या मंदिर के बीच चल रहा है लेकिन यह निर्माण धीमी गति से चलने से इस वर्ष इसके पूर्ण होने की उम्मीद नहीं है।
यह है स्थिति
कॉलेज में व्याख्याताओं के 7 पद स्वीकृत हैं और इस वर्ष तीसरा सत्र शुरू हो गया है लेकिन सरकार द्वारा अब तक पर्याप्त व्याख्याता नहीं लगाए गए। केवल दो विषयों के व्याख्याता लगाए गए। हिंदी, इतिहास, अंग्रेजी, राजनीति विज्ञान व भूगोल के व्याख्याताओं के पद अब तक रिक्त चल रहे हैं। प्रिंसीपल का पद भी रिक्त है।
& तीसरा वर्ष चल रहा है लेकिन सरकार कॉलेज के प्रति गंभीर नहीं है। दो साल में सरकार ने सिर्फ दो ही व्याख्याता कॉलेज में लगाए, इसमें से भी एक महिला व्याख्याता का तबादला कर देने से अब एक ही व्याख्याता यहां रह गया है। प्रिंसपल का पद भी पिछले वर्श से ही रिक्त पड़ा है कॅालेज में बैठने की तक जगह नहीं है। सरकार की ओर से प्रिंसीपल व व्याख्याताओं के पद नहीं भरे तो कॉलेज में ताला लगा कर छात्र आंदोलन करेंगे।
अरविंद मीणा, छात्रसंघ अध्यक्ष, राजकीय कॉलेज छबड़ा


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