बारां जिले में रबी की बुवाई इन दिनों अन्तिम दौर में पहुंचने लगी है। चम्बल की दायीं मुख्य नहर की वितरिकाओं में जलप्रवाह के साथ ही किसान रेलने व सिंचाई का जुगाड़ करने में व्यस्त हो गए।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क/बारां। जिले में रबी की बुवाई इन दिनों अन्तिम दौर में पहुंचने लगी है। चम्बल की दायीं मुख्य नहर की वितरिकाओं में जलप्रवाह के साथ ही किसान रेलने व सिंचाई का जुगाड़ करने में व्यस्त हो गए। अब गेहूं के साथ लहसुन की बुवाई दौर जोर-शोर से चल रहा है। छिटपुट रूप से चने की भी बुवाई हो रही है। रबी में जिले में लगातार दूसरे साल किसानों ने सरसों की बुवाई में अधिक रुचि दिखाई है तो चने के प्रति भी किसानों का रुझान रहा है।
इससे गेहूं के क्षेत्रफल में कमी आई है। किसानों को अब फसलों के अंकुरण के बाद सिंचाई व खाद की आवश्यकता महसूस होने लगी है। अगेती बुवाई करने वाले किसान अब सरसों की सिंचाई में जुटे हैं। जिले में इस वर्ष सरसों की बुवाई 1 लाख 49 हजार 105 हैक्टेयर क्षेत्रफल में हुई है। यहां कुल 3.57 लाख हैक्टेयर में होती है। इसमें अब तक 2 लाख 19 हजार 346 हैक्टेयर में रबी की फसलों की बुवाई हो चुकी है।
इस साल भी सरसों की रेकॉर्ड बुवाई
जिले में किसानों ने इस साल भी खरीफ की फसलों में हुए खराबे के बाद सरसों की बुवाई को प्रमुखता दी है। अब तक 1.52 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों की बुवाई हुई है। किसानों ने अब अगेती बुवाई की सरसों की सिंचाई शुरू कर दी है। इससे जिले के असिंचित क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की मांग बढ़ गई है। किसान सिंचाई के लिए रात में बिजली देने का विरोध कर रहे हैं।
गेहूं का क्षेत्रफल और भी कम हुआ
गत वर्ष जिले में करीब 1 लाख 10 हजार हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी, लेकिन इस साल किसानों का सरसों के साथ चने के प्रति रुझान देखने को मिल रहा है। इससे गेहूं की बुवाई का क्षेत्रफल और भी कम रह सकता है। जिले मेें अब तक 13 हजार 38 हैक्टेयर में ही गेहूं की बुवाई है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार मौसम में बदलाव से किसान कोई रिस्क नहीं लेकर सरसों के प्रति ही रुचि दिखा रहे हैं।
मौसम अब पूरी तरह अनुकूल रहने से सभी फसलों की बुवाई हो रही है। किसानों ने लगातार दूसरे साल सरसों की बुवाई में रुचि दिखाई है। अब धान से खाली हो रहे खेतों में गेहूं के साथ धनिया व लहसुन की बुवाई का दौर चल रहा है। जिले में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है।
अतीश कुमार शर्मा, उपनिदेशक कृषि विस्तार