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जल संरक्षण के नियम तो बनाए, पालन कौन कराए, नगर परिषद कार्यालय भवन में ही नहीं है वाटर हार्वे​स्टिंग सिस्टम

हर में बारिश के दिनों में होने वाली बरसात का पानी व्यर्थ ही बहकर निकल जाता है। लेकिन इसका लोग न तो उपयोग कर रहे न ही भूमिगत वाटर लेवल बढ़ाने का कार्य हो रहा है।

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बारां

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Mukesh Gaur

Jun 28, 2025

हर में बारिश के दिनों में होने वाली बरसात का पानी व्यर्थ ही बहकर निकल जाता है। लेकिन इसका लोग न तो उपयोग कर रहे न ही भूमिगत वाटर लेवल बढ़ाने का कार्य हो रहा है।

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शहर में रैन वाटर हार्वे​स्टिंग पर नगर परिषद और जनता उदासीन, परिषद ने शहर में अब तक महज एक पूर्णता प्रमाण पत्र किया जारी,

बारां. शहर में बारिश के दिनों में होने वाली बरसात का पानी व्यर्थ ही बहकर निकल जाता है। लेकिन इसका लोग न तो उपयोग कर रहे न ही भूमिगत वाटर लेवल बढ़ाने का कार्य हो रहा है। नगर परिषद निर्धारित मापदण्डों के आधार पर भूखण्डों पर निर्माण की स्वीकृति देती है। इसके तहत बड़े भूखण्डों पर रैन वाटर हार्वे​स्टिंग लगाना भी अनिवार्य होता है। इसके माध्यम से या तो वर्षा के जल को घर में होज या टांका बनाकर संग्रहित किया जाता है, या फिर गड्ढा बनाकर भूमिगत जलस्तर को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।

सरकार ने 2020 से इसे अनिवार्य किया

सरकार ने वर्ष 2020 में वाटर हार्वे​स्टिंग सिस्टम को नियम में भवन निर्माण में शामिल किया था। जानकारी के अनुसार शहर में करीब 25 हजार आवास मौजूद हैं। इनमें 2500 वर्ग फीट के करीब दो हजार आवास हैं। इनमें से पांच सौ से अधिक उक्त साइज के मकानों का निर्माण 2020 के बाद हुआ है। लेकिन वाटर हार्वे​स्टिंग सिस्टम किसी भी मकान में नजर नहीं आते हैं।

स्थानीय निकाय और आमजन की उदासीनता

रेन वाटर हार्वे​स्टिंग सिस्टम को लेकर जहां आमजन उदासीन नजर आते हैं, वहीं नगर परिषद भी इस ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान नही दे रही। शहर में मौजूद भूजल फ्लोराइड युक्त होने के कारण यदि यहां वाटर हार्वे​स्टिंग लगे तो भूजल बढऩे के साथ ही गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है। देखने में आया है कि अनेकों सरकारी कार्यालयों में भी रेन वाटर हार्वे​स्टिंग सिस्टम कहीं नजर नहीं आते। यहां तक की जिस नगर परिषद की जिम्मेदारी इस कार्य को देखने व करवाने की है। उसके ही कार्यालय में रेन वाटर हार्वे​स्टिंग नहीं लगा है।

नहीं लेते है भवन की पूर्णता का प्रमाण-पत्र

यूं तो आमजन स्वयं का घर निर्माण करने के लिए नगर परिषद से निर्माण स्वीकृति लेता है। इसमें सभी तरह की खानापूर्ति की जाती है। लेकिन घर मकान या व्यवसायिक परिसर का निर्माण होने के बाद नगर परिषद से पूर्णता प्रमाण पत्र कोई नहीं लेता है। जबकि नियमानुसार पूर्णता प्रमाण पत्र लेना भी आवश्यक होता है। सबसे बड़ी बात तो यह कि सम्पूर्ण शहर में अब तक महज एक पूर्णता प्रमाण पत्र जारी हुआ है, वह भी एक मल्टी स्टोरी का।

नगर परिषद ने रैन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम को निर्माण स्वीकृति में वर्ष 2020 में शामिल किया था। इसका प्रारुप भी निर्माणकर्ता को दिया जाता है। वहीं पूर्णता प्रमाण पत्र भी लेना आवश्यक होता है। लेकिन सम्पूर्ण शहर में महज एक पूर्णता प्रमाण पत्र नगर परिषद द्वारा अब तक जारी किया गया है।

केशव कुमार, कनिष्ठ अभियन्ता, नगर परिषद बारां

क्या है वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक

'जल संचयन'शब्द का अर्थ आम तौर पर किसी विशेष क्षेत्र (जलग्रहण क्षेत्र) से वर्षा-जनित अपवाह को एकत्रित करना है, ताकि मानव, पशु या फसल के उपयोग के लिए जल उपलब्ध कराया जा सके। इस प्रकार एकत्रित पानी का उपयोग या तो तुरंत किया जा सकता है, जैसे कि सिंचाई के लिए, या बाद में उपयोग के लिए जमीन के ऊपर के तालाबों या भूमिगत जलाशयों, जैसे कि कुण्ड या उथले जलभृतों में संग्रहित किया जा सकता है। इस प्रकार, जल संचयन एक प्राचीन प्रथा है जिसने कुछ समाजों को अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में जीवित रहने में सक्षम बनाया है, जहां ताजे पानी के अन्य स्रोत (जैसे, नदियाँ, झीलें या जलभृत) कम या अनुपलब्ध हैं।

सरकारी भवनों की भी जारी हो स्वीकृति

नगर परिषद के सूत्रों ने बताया कि यूं तो सरकारी भवनों के निर्माण को लेकर नगर परिषद से किसी तरह की स्वीकृति नहीं ली जाती है, जबकि कई तरह की आम सुविधाएं नगर परिषद ही मुहैया करवाती है। ऐसे में सरकारी भवनों के नगर परिषद क्षेत्र में होने वाले निर्माण कार्यों की भी स्वीकृति लेना चाहिए।


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