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पांच लाख के लालच में फंसा, पालिका के खाते से अपने खाते में 44 लाख रुपए डलवाए

नगर पालिका के खाते से आठ माह पूर्व एक युवक के खाते में डाले गए 44 लाख रुपए के मामले का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने अपने खाते में राशि आहरित करने के आरोपी को मंगलवार को जयपुर से गिरफ्तार कर लिया।

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पांच लाख के लालच में फंसा, पालिका के खाते से अपने खाते में 44 लाख रुपए डलवाए

पांच लाख के लालच में फंसा, पालिका के खाते से अपने खाते में 44 लाख रुपए डलवाए

छबड़ा. नगर पालिका के खाते से आठ माह पूर्व एक युवक के खाते में डाले गए 44 लाख रुपए के मामले का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने अपने खाते में राशि आहरित करने के आरोपी को मंगलवार को जयपुर से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बुधवार को आरोपी को न्यायालय में पेश कर पांच दिन का रिमांड लिया है। इस अवधि में पुलिस आरोपी से पूछताछ कर छबड़ा पालिका व उपकोष कार्यालय के लिप्त बेहद शातिर कार्मिकों का भी पर्दाफाश करेगी। अब तक इस प्रकरण में तत्कालीन ईओ की लापरवाह कार्यप्रणाली को भी इस घटना के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
यह था मामला
सीआई राजेश खटाना ने बताया कि छबड़ा नगर पालिका के पीडी खाते से 28 जून 2023 को तत्कालीन ईओ महेन्द्रङ्क्षसह चारण की डीएससी का गलत इस्तेमाल कर शातिर कार्मिक द्वारा जयपुर निवासी सुनील वर्मा (23) पुत्र किशन वर्मा के खाते में 43 लाख 79 हजार 500 रुपए ट्रांसफर कर दिए थे। पुलिस ने ईओ चारण की रिपोर्ट पर संविदाकर्मी हरिशंकर शर्मा व दीपक सेन के विरुद्ध गबन व धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की थी। इस मामले में पुलिस ने मंगलवार को सुनील वर्मा को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस इस मामले में जुड़ी कडिय़ों को सिलसिलेवार जोडऩे में जुटी है। शीघ्र ही इस मामले में छबड़ा के लिप्त मुख्य आरोपी भी सामने आएंगे।
बहन की शादी का कर्ज चुकाने को तैयार
सुनील वर्मा का परिवार बेहद गरीब है। इसकी मां दूसरों के घरों में कपड़े धोने का कार्य करती है। पिता शराबी है। सुनील के परिवार पर 2018 में उसकी ***** की शादी का कर्ज था। इस बात को पंकज भी जानता था। इसलिए पंकज ने सुनील को इसके लिए तैयार कर लिया और उसे इस मामले से जोड़ दिया।
पुलिस टीम में शामिल
पुलिस प्रशासन की मशक्कत व प्रयासों से पुलिस ने 15 दिन में ही इस मामले में पहली सफलता प्राप्त कर ली। पुलिस अब पंकज नामा की गिरफ्तारी के साथ छबड़ा में उसके साथ इस धोखाधड़ी में जुड़े लोगों को भी गिरफ्तार करने के करीब है। टीम में अनुसंधान अधिकारी एसआई लईक अहमद, हैड कांस्टेबल सत्येन्द्रङ्क्षसह एवं कांस्टेबल शक्तिङ्क्षसह, महेशपाल, गोविन्दङ्क्षसह, दशरथ, जितेन्द्र, रणवीरङ्क्षसह, सुनील, मोनू व मनीष आदि शामिल हैं।
मित्र के झांसे में आया
पुलिस ने बताया कि जयपुर मोती डूंगरी निवासी सुनील वर्मा की पंकज नामा से मित्रता थी। पंकज नामा ने सुनील को बताया कि छबड़ा में रहने वाले उसके रिश्तेदार की जमीन बेचान आदि की राशि उसके खाते में आएगी। इसके एवज में उसे पांच लाख रुपए मिलेंगे। इस पर सुनील तैयार हो गया और उसने अपने खाते में पालिका के खाते से पांच वाउचरों के माध्यम से आई राशि डलवा ली और इसके एवज में पांच लाख रुपए ले लिए।
पालिका सजग होती तो मिल जाती राशि
पालिका में हुए इस अतिसंवेदनशील अपराध को कारित करने में पालिका के कार्य की गहरी समझ रखने वाले व तंत्र की कमजोरी का फायदा उठाते हुए यहां सक्रिय इस संगठित गिरोह ने योजनाबद्ध तरीके से षडयंत्र कर अपराध को अंजाम दिया। यदि पालिका प्रशासन व यहां स्थापना शाखा में कार्यरत कार्मिक सावचेत रहते तो पालिका प्रशासन इस धोखाधड़ी व ठगी का शिकार नहीं होता। क्योंकि सुनील का बैंक खाते जीरो बैलेंस था। 28 जून को 43 लाख रुपए की राशि जमा होने के साथ ही सुनील का खाता सीज हो गया। इस पर पंकज नामा ने बैंक मैनेजर से मिलकर बीमा आदि करवाकर एक माह बाद खाते को सक्रिय कराया। इसके बाद भी सुनील ने एक-एक दिन छोडकऱ पांच-पांच लाख रुपए निकाल कर पंकज व उसके साथी को दिए। सातवीं आठवीं किश्त के दौरान सुनील को पांच लाख का भुगतान किया गया। यदि पालिका प्रशासन को समय पर अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता चल जाता तो पालिका की राशि का गबन नहीं होता।