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नहर की खुदाई में मिला अंग्रेजों का सौ साल पुराना भाप से चलने वाला ट्रैक्टर, इंजीनियर भी दंग

रुहेलखंड नहर विभाग की खुदाई में ऐसा अद्भुत नजारा सामने आया जिसने हर किसी को हैरान कर दिया। झाड़ियों और घास-फूस के बीच दबा पड़ा अंग्रेजों के जमाने का सौ साल पुराना भाप से चलने वाला ट्रैक्टर निकला।

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बरेली। रुहेलखंड नहर विभाग की खुदाई में ऐसा अद्भुत नजारा सामने आया जिसने हर किसी को हैरान कर दिया। झाड़ियों और घास-फूस के बीच दबा पड़ा अंग्रेजों के जमाने का सौ साल पुराना भाप से चलने वाला ट्रैक्टर निकला। कभी खेतों की गहरी जुताई करने वाला और नहर व सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाला यह ऐतिहासिक ट्रैक्टर अब विभाग की शान बनने जा रहा है।

◼ कबाड़ समझा, लेकिन निकला इंजीनियरिंग का चमत्कार

रुहेलखंड नहर खंड-3 के सहायक अभियंता अजीत कुमार ने बताया कि डिवीजन ऑफिस के पीछे खोदाई के दौरान लोहे की एक आकृति दिखाई दी। शुरू में इसे कबाड़ समझा गया, लेकिन करीब जाकर देखा तो चौंक गए। यह अंग्रेजी हुकूमत का असली इंजीनियरिंग करिश्मा था। सूचना तत्कालीन अधिशासी अभियंता नवीन कुमार को दी गई।

◼ नए अधिशासी अभियंता ने निकलवाया बाहर

इस बीच विभाग में तबादले की प्रक्रिया हुई और नए अधिशासी अभियंता सर्वेश चंद्र ने पदभार संभाला। उन्होंने अधीक्षण अभियंता त्रयम्बक त्रिपाठी के निर्देश पर क्रेन बुलाकर इस दुर्लभ धरोहर को बाहर निकलवाया। मिट्टी और झाड़ियों में दबा यह ट्रैक्टर धीरे-धीरे अपनी असली शक्ल में सामने आया।

◼ खेतों और नहर निर्माण में होता था इस्तेमाल

अधिकारियों के मुताबिक, अंग्रेजों के जमाने में भाप से चलने वाला यह ट्रैक्टर खेतों की गहरी जुताई, अनाज की थ्रेसिंग और नहर व सड़क निर्माण में भारी सामान ढोने जैसे कामों में उपयोग किया जाता था। यह उस दौर की बड़ी तकनीकी क्रांति माना जाता था।

◼ अब बनेगा धरोहर का प्रतीक

विभाग की योजना है कि इस इंजन को साफ-सुथरा और रंगरोगन कर केंट स्थित निरीक्षण भवन में प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी ब्रिटिश दौर की इस तकनीक को नजदीक से देख सकें।


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