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बरेली स्मार्ट सिटी बना स्लज वाटर सिटी, नाला सफाई का करोड़ों का खेल, कागज़ों में साफ़, ज़मीन पर तैरती गंदगी

दो दिन की जरा सी बारिश ने बरेली नगर निगम के करोड़ों के नाला सफाई अभियान की हकीकत को नंगा कर दिया। स्मार्ट सिटी का दावा करने वाले शहर की सड़कों पर गंदा पानी और नालों का उफान प्रशासन की नाकामी का आईना बन गया।

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बरेली। दो दिन की जरा सी बारिश ने बरेली नगर निगम के करोड़ों के नाला सफाई अभियान की हकीकत को नंगा कर दिया। स्मार्ट सिटी का दावा करने वाले शहर की सड़कों पर गंदा पानी और नालों का उफान प्रशासन की नाकामी का आईना बन गया। बरेली अब स्मार्ट सिटी नहीं स्लज वाटर सिटी बनकर रह गया है।

जनकपुरी, मॉडल टाउन, सुभाष नगर, राजेंद्र नगर जैसे पॉश इलाकों से लेकर बिहारीपुर, हजियापुर, नेकपुर और कुंवरपुर जैसे पुराने मोहल्लों तक हर जगह लोगों के घरों में पानी घुस गया। नाले उफन पड़े, सड़कें तालाब बन गईं और निगम के अफसर ऑफिस की कुर्सियों से उठने तक नहीं आए।

कागज़ी सफाई, कूड़े से अटे नाले

नगर निगम हर साल नाला सफाई पर 5.5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने का दावा करता है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि ज्यादातर नाले अब भी कूड़े और पॉलिथिन से भरे पड़े हैं।
सुभाष नगर पुलिया के नीचे चार फुट तक पानी जमा रहा। मॉडल टाउन, राजेंद्र नगर, गणेश नगर, और डीडीपुरम में तो हालत यह रही कि लोगों को घरों से निकलने के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ा। स्मार्ट सिटी की चमकदार रिपोर्टों के बीच नागरिकों ने खुद डंडों से नालों की सफाई कर निगम की नींद तोड़ने की कोशिश की।

जनता बेहाल, निगम के अफसर लापता

नगर निगम के अधिकारी और सफाई कर्मी मैदान से पूरी तरह गायब रहे। जलभराव की सूचना मिलने के बाद भी किसी वार्ड में निरीक्षण तक नहीं किया गया। नेकपुर, तलैया और हजियापुर के मकानों में पानी घुसने से लोगों का रोज़मर्रा का जीवन ठप हो गया। नगर निगम की लापरवाही पर जनता ने खुलकर कहा कि करोड़ों की सफाई पर खर्च, लेकिन एक बारिश में निगम का सच बह गया।”

स्मार्ट सिटी या स्लज सिटी

नगर निगम का भ्रष्टाचार अब “स्मार्ट सिटी” टैग पर सवाल खड़ा कर रहा है। हर साल सफाई बजट बढ़ता है, लेकिन शहर का हाल बद से बदतर होता जा रहा है। जनकपुरी और मॉडल टाउन जैसे वीआईपी इलाकों में जब यह हाल है, तो आम बस्ती का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

जवाबदेही कौन तय करेगा?

निगम अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग तेज हो गई है। नागरिकों ने सवाल उठाया है कि जब हर साल करोड़ों का बजट खर्च होता है, तो शहर क्यों डूबता है? हजियापुर के राजकुमार, अनोखेलाल, शरीफ उद्दीन का कहना है कि यदि भ्रष्टाचार की जांच हो, तो सफाई घोटाले की परतें खुलेंगी और कई अफसरों की भूमिका उजागर होगी।

स्मार्ट सिटी बरेली अब “वाटर सिटी” बन चुका है। दो दिन की बारिश ने नगर निगम के सफाई तंत्र का सारा गंद साफ कर दिया — गली-गली में फैली बदबू के साथ।