
मोदी योगी,मोदी योगी,modi yogi
बरेली। उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए मतगणना आज सुबह से शुरू हो चुकी है। नूरपुर सीट भाजपा के हाथ से जा चुकी है, वहीं कैराना भी जाना तय माना जा रहा है। नूरपुर में सपा प्रत्याशी नईमुल हसन ने 6 हजार वोटों से भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह को शिकस्त दी है। वहीं कैराना में रालोद प्रत्याशी तबस्सुम हसन जीत के करीब हैं। इससे पहले भी फूलपुर और गोरखपुर उपचुनाव में सपा बसपा के गठबंधन के आगे मोदी लहर फीकी पड़ गई थी और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। प्रदेश में बार बार भाजपा की शिकस्त से 2019 के लिए सियासी समीकरण तेज हो गए हैं। बरेली में जगह जगह लोग इन रिजल्ट का उदाहरण देकर 2019 के लोकसभा की चर्चाएं कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर यही हाल रहा तो 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को बरेली शहर में भी शिकस्त झेलनी पड़ सकती है। जानिए कैसे —
जिले की दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा
मौजूदा समय मे जिले की बरेली एवं आंवला लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। बरेली लोकसभा से जहां केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार सांसद है तो आंवला सीट से धर्मेंद्र कश्यप सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन दोनों की राह आसान नहीं दिख रही है क्योंकि जिले की दोनों सीटों पर दलित मुस्लिम गठजोड़ किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकता है। यहां अगर विपक्ष एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरता है तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
जातिगत आंकड़े बरेली लोकसभा
अगर बात करें बरेली लोकसभा की तो इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 16 लाख है जिसमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या साढ़े चार लाख से भी ज्यादा है। जबकि इस सीट पर 1.75 लाख दलित मतदाता भी हैं। यहां पर कुर्मी मतदाता भी साढ़े तीन लाख हैं जोकि संतोष गंगवार की असली ताकत हैं।
क्षत्रिय -- 70 हजार
ब्राह्मण - एक लाख
मौर्य - 1.50 लाख
दलित - 1. 75 लाख
वैश्य - 1.25 लाख
मुस्लिम - 4.50 लाख
कश्यप - एक लाख
कुर्मी - 3.50 लाख
लोध - एक लाख
कायस्थ - एक लाख
यादव - 70 हजार
आंवला लोकसभा का हाल
आवला लोक सभा की बात करें तो इस सीट पर भी मुस्लिम और दलित गठजोड़ कमाल दिखा सकता है। यहां पर तीन लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं तो दलित मतदाताओं की संख्या भी लगभग तीन लाख है और इस सीट पर करीब डेढ़ लाख यादव मतदाता भी हैं।
मुस्लिम - तीन लाख
दलित - तीन लाख
क्षत्रीय- दो लाख
कश्यप - एक लाख
यादव - 1.50 लाख
ब्राह्मण - एक लाख
मौर्य - एक लाख
वैश्य -- 80 हजार
सब पर भारी पड़े थे सन्तोष
आपको बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में संतोष गंगवार ने बड़ी जीत मिली थी। संतोष ने 2014 के चुनाव में बसपा, सपा और कांग्रेस के कुल वोट से ज्यादा वोट हासिल किए थे। मोदी लहर में संतोष गंगवार को 5,18,258 वोट मिले जबकि दूसरे नम्बर पर रही सपा की आयशा इस्लाम को 2,77,573 वोट ही हासिल हुए और संतोष गंगवार ने 2,40,685 वोटों से जीत हासिल की। इस चुनाव में बसपा के उमेश गौतम को 106049 और कांग्रेस के प्रवीण सिंह एरन को 84213 वोट ही हासिल हुए। इस चुनाव में संतोष गंगवार को 2009 के चुनाव की तुलना में 20.91 प्रतिशत ज्यादा वोट प्राप्त हुए और उन्होंने सपा, बसपा और कांग्रेस के कुल वोटो से ज्यादा वोट मिले।
गठबंधन पड़ सकता है भारी
पिछले चुनाव में जहां भाजपा प्रत्याशी को तीनों दलों से ज्यादा वोट मिले थे, लेकिन अगर इस बार समूचा विपक्ष मिलकर चुनाव लड़ता है तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि विपक्ष के एक जुट होने से मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण होगा। उन्हें दलित एवं यादव मतदाताओं का भी साथ मिलेगा, जिससे भाजपा का मुश्किल में पड़ना साफ है।
Updated on:
31 May 2018 11:24 pm
Published on:
31 May 2018 02:04 pm
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